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एक ऐसी महिला पंडित जो शादी से लेकर कराती हैं अंतिम संस्कार, दक्षिणा लड़कियों की पढ़ाई के लिए दान देती हैं

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द फॉलोअप डेस्कः
राजस्थान की 64 वर्षीय सरला गुप्ता ने परंपराओं को तोड़ते हुए एक अनोखा रास्ता अपनाया है। उन्होंने शादियों और अंतिम संस्कार जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों में पुरुषों की जगह ली है। सरला गुप्ता ने 50 से अधिक शादियों और 70 दाह संस्कारों में पंडित की भूमिका निभाई, जिसके लिए उन्होंने विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है। उन्होंने आर्य समाज में शादियां करानी शुरू की और जल्द ही उनकी प्रतिष्ठा जयपुर, प्रयागराज और अजमेर जैसे शहरों में फैल गई। सरला गुप्ता ने एक नियम बनाया है कि वे अंतिम संस्कार जैसे कार्यों के लिए कोई दक्षिणा नहीं लेती हैं, लेकिन शुभ कार्यों जैसे विवाह और मुंडन के लिए दक्षिणा स्वीकार करती हैं। यह दक्षिणा वे चार गुरुकुलों में लड़कियों की शिक्षा के लिए दान करती हैं, जिनमें उदयपुर का दयानंद कन्या विद्यालय, चित्तौड़गढ़ का पद्मिनी आर्य कन्या गुरुकुल, नागालैंड में रानी गायदुल्यु गुरुकुल और उत्तर प्रदेश के न्योतारा शामिल हैं।


सरला गुप्ता ने 2016 से शादी-ब्याह, मुंडन, कर्ण छेदन समेत अन्य शुभ मुहूर्त वाले काम कराना शुरू किया, लेकिन कोरोना काल के दौरान 2020 से अंतिम संस्कार कराना भी शुरू कर दिया। वे बताती हैं- कोविड के दौरान श्मशान घाटों पर अंतिम संस्कार के लिए परिजनों को गुहार लगाते देखा तो यह काम भी शुरू कर दिया। शादी में सामने वाला पक्ष अगर सामग्री लाने को कहे तो वे स्वयं लेकर जाती हैं। सरला जिस घर में जाती हैं, उनके घर की महिलाओं को भी धार्मिक कार्य को कराने के लिए प्रेरित करती हैं। कई जगह उनके साथ महिलाएं शामिल भी हुईं। वे कहती हैं भारत में सिर्फ 3 महिलाएं हैं, जो अंतिम संस्कार करवाती हैं।


सरला गुप्ता ने बताया कि परिवार के लोग आर्य समाज को मानते हैं। बचपन में घर में रोज हवन होता था। 2016 में पति राजकुमार गुप्ता हिंदुस्तान जिंक से रिटायर हुए तो सरला ने उनसे पुरोहिताई करने की इच्छा जताई। इसके बाद आर्य समाज के शिविरों में अजमेर और गुजरात के रोजड़ में प्रशिक्षण लिया। उदयपुर में आर्य समाज से जुड़ी। इसके बाद यहां के पंडितों के साथ शादी व अन्य संस्कारों में शामिल होने लगी। यहीं से सभी मंत्र सहित अन्य प्रक्रिया सीखी। शुरुआत में समाज के लोग पीछे से अलग-अलग तरह की बातें करते थे, लेकिन अब बहुत प्रशंसा करते हैं।