द फॉलोअप डेस्क
झारखंड सरकार के लिए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से एक मामले में राहत मिली तो दूसरे में झटका लगा है। मतलब थोड़ी खुशी के साथ थोड़ा गम भी मिला। दरअसल बरहरवा टोल प्लाजा टेंडर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश और कार्यवाही पर रोक लगा दी है। सरकार की एसएलपी पर सुनवाई करते हुए सोमवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की अदालत ने यह आदेश जारी किया है। ईडी को इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश कोर्ट ने दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई मार्च में निर्धारित की गई है।
हाईकोर्ट ने ईडी को बनाया था प्रतिवादी
झारखंड हाईकोर्ट ने बरहरवा मामले से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को प्रतिवादी बनाया था। कोर्ट ने ईडी को शपथपत्र दाखिल करने भी कहा था। जिसके बाद ईडी ने शपथपत्र दाखिल किया था। जिसे देखने के बाद हाईकोर्ट ने कहा था कि प्रथम द्रष्टया ऐसा लगता है कि मामले की पुलिस जांच सही से नहीं हुई। इस मामले के प्रार्थी ने जो आरोप लगाए है वह सही है। ऐसे में इस मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने के लायक है। क्योंकि, मामले के आरोपी पंकज मिश्रा और मंत्री आलमगीर आलम के खिलाफ किसी प्रकार की जांच नहीं हुई है। केस के आईओ को डीएसपी ने दोनों के खिलाफ साक्ष्य एकत्र नहीं करने कहा था। आईओ ने इस बात को ईडी के समक्ष स्वीकार भी किया है। वहीं, ईडी के शपथपत्र से पता चलता है कि पंकज मिश्रा ने हिरासत में रहते 275 लोगों से बात की है।
पुलिस ने 14 गवाहों का बयान लेकर दी थी क्लीन चिट
हाईकोर्ट में याचिका दायर कर प्रार्थी शंभु नंदन कुमार ने साहिबगंज के बरहरवा थाने में टोल प्लाजा टेंडर विवाद में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें मंत्री आलमगीर आलम और विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा पर टेंडर में भाग लेने को लेकर धमकी देने का आरोप लगाया था। इस मामले में कई अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया था। इस मामले में आरोप है कि मिश्रा ने प्रार्थी को टेलीफोन पर धमकी दी थी मगर पुलिस ने उसके वॉइस रिकॉर्ड की फॉरेंसिक जांच नहीं कराई। वहीं, आधे घंटे में एसडीपीओ ने 30 मिनट में 13 स्थानों का भ्रमण कर 14 लोगों का बयान दर्ज किया है।
ईडी पर अधिकार का उल्लंघन मामले पर याचिका खारिज
बरहरवा टोल प्लाजा मामले में झारखंड के पुलिस अधिकारियों को समन दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड सरकार की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को हाईकोर्ट में अपनी बात रखने का निर्देश दिया। बताते चलें कि सरकार की एक आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की अदालत ने यह निर्देश दिया है। मालूम हो कि टोल प्लाजा डेंटर मामले में कुछ पुलिस अधिकारियों को ईडी की ओर से समन दिए जाने के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें सरकार ने अदालत को बताया था कि ईडी टेंडर मामले की जांच नहीं कर सकती। ईडी अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन कर रही है। क्योंकि, टेंडर मामला राज्य के अधीन है। ऐसे में राज्य की पुलिस ही इसकी जांच कर सकती है।