द फॉलोअप नेशनल डेस्क
SC-ST कोटे में राज्य सरकारें बंटवारा यानी सब कोटे का प्रावधान नहीं कर सकेंगी। राज्य सरकारों को संविधान के अनुसार ही आरक्षण देना होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकारें एससी-एसटी कोटे में आरक्षण का बंटावारा कर सकती हैं। यानी वे कोटे के अंदर कोटा तय कर सकती हैं। कोर्ट की ओर से SC-ST कैटेगरी में क्रीमी लेयर के हिसाब से सब कैटेगरी बनाकर कोटा तय करने के फैसले पर मोदी कैबिनेट की बैठक में चर्चा की गई। इसमें यह तय किया गया कि संविधान में SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे में सरकार संविधान में तय आरक्षण नियमों में कोई भी बदलाव नहीं करेगी।
कैबिनेट ने फैसला किया कि संविधान के मुताबिक ही आरक्षण दिया जाएगा। यह भी कहा गया कि एनडीए सरकार बाबा साहेब अंबेडकर की ओर से बनाए गए संविधान के प्रति प्रतिबद्ध और संकल्पबद्ध है। गौरतलब है कि एक अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को ये अधिकार दे दिया था कि वे आरक्षण के पहले से निर्धारित प्रतिशत में वर्गीकरण कर सकते हैं। यानी शीर्ष अदालत ने कोटे के अंदर कोटा को मान्य करार दिया था। अनुसूचित जाति को मिलने वाले 15 फीसदी आरक्षण में सब-कोटे को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी।
सीजेआई जस्टिस चंद्रचूढ़ की अगुआई में 7 जजों की संवैधानिक पीठ ने 6-1 के बहुमत से एक फैसला दिया था कि राज्यों में नौकरियों में SC/ST आरक्षण कोटा में उप वर्गीकरण किया जा सकता है। अब मोदी के कैबिनेट के फैसले के बाद राज्य सरकारें सब कोटा का के अनुसार आरक्षण नहीं दे सकेंगी।