द फॉलोअप डेस्क
खूंटी जिले के नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय के छात्र सुधीर सांगा ने आंध्र प्रदेश के गुंटूर में 21 से 26 मार्च तक आयोजित मिनी नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में अंडर-13 कंपाउंड बालक वर्ग के 30 मीटर इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर झारखंड का नाम रोशन किया। सुधीर की इस शानदार उपलब्धि से पूरे जिले और राज्य में खुशी का माहौल है।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
सुधीर सांगा का जीवन संघर्षों से भरा रहा है। बाल्यकाल में ही पिता का निधन हो गया था, जिसके कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर हो गई। उनकी मां बिरंग सांगा मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करती हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद, सुधीर की प्रतिभा और लगन ने उन्हें एक असाधारण खिलाड़ी बना दिया। सुधीर का झुकाव तीरंदाजी की ओर था, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण इसे सीखना आसान नहीं था। उनकी प्रतिभा को देखते हुए सरकार द्वारा संचालित नेताजी सुभाषचंद्र बोस आवासीय विद्यालय, खूंटी में उनका दाखिला कराया गया, जहां उन्हें खेल के लिए सही माहौल और प्रशिक्षण मिला।
आंतरराष्ट्रीय तीरंदाजों से मिला सहयोग
सुधीर के पास अभ्यास के लिए आवश्यक संसाधन नहीं थे, लेकिन अंतरराष्ट्रीय तीरंदाज और वर्तमान में सीआरपीएफ में कार्यरत असृता केरकेट्टा ने उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए अपना धनुष अभ्यास के लिए दिया। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज राहुल और मोनिका ने भी सुधीर की मदद की और उन्हें कीमती साइटर और तीर उपलब्ध कराए। इस सहयोग ने सुधीर के अभ्यास को और मजबूत बनाया और उन्हें प्रतियोगिता के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने का मौका दिया।
प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन
आंध्र प्रदेश के गुंटूर में आयोजित मिनी नेशनल तीरंदाजी प्रतियोगिता में देशभर के प्रतिभाशाली खिलाड़ी शामिल हुए थे। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद, सुधीर ने अपने सटीक निशाने और बेहतरीन तकनीक से सभी को प्रभावित किया और स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। इस उपलब्धि से उन्होंने खूंटी, झारखंड और पूरे देश का नाम रोशन किया।
गर्व और खुशी का माहौल
सुधीर की जीत से स्कूल, जिला और राज्य में हर्ष और गर्व का माहौल है। स्कूल के शिक्षकों, प्रशिक्षकों और सहपाठियों ने उनकी मेहनत और लगन की सराहना की। खूंटी के खेल प्रेमियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी सुधीर की सफलता को राज्य के लिए गौरवपूर्ण क्षण बताया। विद्यालय परिवार ने सुधीर को भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि अगर उन्हें उचित संसाधन और सहयोग मिलता रहा, तो वे आने वाले वर्षों में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झारखंड और भारत का नाम रोशन कर सकते हैं।