डेस्कः
पीएमएलए कानून के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुनावाई हुई। सुनवाई के दौरान कहा गया कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत ED की गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट तौर से कह दिया कि ईडी के पास गिरफ्तार करने और समन भेजने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को भी रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जांच के दौरान ED, SFIO, DRI अधिकारियों (पुलिस अफसर नहीं) के सामने दर्ज बयान भी वैध सबूत हैं।साधारण भाषा में समझे तो सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को बिल्कुल सही करार दिया है।
बेल की कंडीशन बरकरार
याचिका में बेल की मौजूदा शर्तों पर भी सवाल उठाया गया था लेकिन कोर्ट ने बेल की कंडीशन को भी बरकरार रखा है। कोर्ट ने कहा, मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है। उसे मूल अपराध के साथ जोड़ कर ही देखने की दलील खारिज की जा रही है। कोर्ट ने ये भी कहा कि, सेक्शन 5 में आरोपी के अधिकार भी संतुलित किए गए हैं. ऐसा नहीं कि सिर्फ जांच अधिकारी को ही पूरी शक्ति दे दी गई है।
क्या कहा गया था याचिका में
गौरतलब है कि याचिका में कहा गया था कि PMLA के कई प्रावधान कानून के खिलाफ हैं। गलत तरीके से पैसा कमाने का मुख्य अपराध साबित न होने पर भी पैसे को इधर-उधर भेजने के आरोप में PMLA का मुकदमा चलता रहता है। दलीलों में कहा गया है कि, इसका इस्तेमाल गलत तरीके से किया जाता है। साथ ही इस कानून में अधिकारियों को मनमाने अधिकार दिए गए हैं। वहीं, मुख्य अपराध साबित न होन पर भी मुकदमा लंबा चलता रहता है।
100 से ज्यादा याचिका दायर
वहीं सरकार की तरफ से कहा गया है कि लोगों ने कार्रवाई से बचने के लिए ऐसी याचिका दायर की है। ये वहीं कानून है जिसकी मदद से विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहूल चौकसी जैसे लोगों से अबतक बैंकों के 18 हजार करोड़ रूपए वसूले गए हैं। बता दें, पीएमएलए के खिलाफ 100 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई हैं जिसके बाद शीर्ष अदालत ने अदालत ने इन सभी को एक साथ कल्ब कर दिया।
सर्वोच्च न्यायाल ने इन धाराओं को बताया वैध
सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाते हुए जिन धाराओं को वैध बताया उसमें सेक्शन 18 प्रमुख रूप से शामिल है। इसके साथ ही सेक्शन 19 में हुआ बदलाव भी करार किया है। सेक्शन 24 भी वैध है साथ ही 44 में जोड़ी गई उपधारा भी सही बताई गई। दरअसल, दायर याचिका में PMLA के कई प्रावधान कानून के खिलाफ बताए गए थे।