द फॉलोअप टीम, जमशेदपुर:
शहर के एमजीएम अस्पताल में दो बच्चों की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। इस मामले की पूर्वी सिंहभूम जिला की बाल कल्याण समिति अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की अन्य सदस्यों के साथ एमजीएम अस्पताल पहुंचकर पूरे मामले की जानकारी ली।
कैसे हुई थी बच्चों की मौत?
सूबे के स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिले में स्थित शहर के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही के कारण दो बच्चे की मौत का मामला प्रकाश में आने के बाद अस्पताल प्रबंधन खुद को बेदाग बता रहा है। वहीं बच्चे की मौत की सूचना पर पूर्वी सिंहभूम जिला की बाल कल्याण समिति अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की अन्य सदस्य एमजीएम अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही बता रहे हैं।
16 नवंबर को दो बच्चों की मौत हो गई थी
बता दें कि सोनारी स्थित सहयोग विलेज की ओर से संचालित स्पेशल एडॉप्शन एजेंसी (एसएए) में बीते 16 नवबंर की रात अचानक 6-7 बच्चों की तबीयत बिगड़ गई थी। उन बच्चों को संस्था की मदद से लोगों ने एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया था। इसके बाद समुचित देखभाल के अभाव में बच्चे ने दम तोड़ दिया था।
डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप
बच्चों की बीमार होने की जानकारी मिलने पर जिला बाल कल्याण समिति अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की और अन्य सदस्य एमजीएम अस्पताल पहुंचकर बच्चों के इलाज की जानकारी ली। इस दौरान एक बच्ची की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी। उसे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएल मुर्मू ने इस बच्ची को आईसीयू में भर्ती करने को कहा उसकी हालत नाजुक बतायी। लेकिन देर रात तक बच्ची को बाहर वार्ड में बिना ऑक्सीजन के छोड़ दिया गया। इस बात की जानकारी जैसे ही बाल कल्याण समिति अध्यक्ष पुष्पा रानी तिर्की को मिली, तो वह फिर एमजीएम अस्पताल पहुंचीं और दोनों बच्चो को अस्पताल के एमआईसीयू में रखा गया, जहां दोनों बच्चों की मौत हो गई।
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अस्पताल प्रबंधन की साफगोई
इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि जब बच्चों को यहां लाया गया, तब इनको तेज बुखार था और डायरिया भी था। हमलोगों ने बच्चों को बचाने की काफी कोशिश की। इसलिए लापरवाही का आरोप लगाना गलत है।