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बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में सीबीआई के सबूतों और थ्योरी पर कोर्ट ने कई सवाल खड़े किए

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द फॉलोअप टीम, लखनऊ:  देश के सबसे हाईप्रोफाइल बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में सीबीआई पर उंगली उठी है। कोर्ट बाबरी विध्वंस केस में फैसला सुनाते हुए जज एसके यादव ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। इसके अलावा फैसले में सीबीआई की तफ्तीश पर कई सवाल भी उठे।

सीबीआई के कई सबूत निराधार थे
कोर्ट ने कहा कि सीबीआई की तरफ से फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी में जिस तरह से सबूत दिए गए हैं, उनसे कुछ साबित नहीं होता है। तस्वीरों के निगेटिव पेश नहीं किए गए। अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में टेम्पर्ड सबूत पेश किए गए। गुंबद पर कुछ असामाजिक तत्व चढ़े। आरोपियों ने भीड़ को रोकने की कोशिश की थी। 2000 पन्नों के अपने फैसले का सारांश पढ़ते हुए जज ने कहा कि घटना वाले दिन विहिप व उसके तत्कालीन अध्यक्ष स्वर्गीय अशोक सिंघल ने उग्र भीड़ को रोकने की भी कोशिश की।

'अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे'
जज ने अशोक सिंघल के एक वीडियो का भी जिक्र अपने फैसले में किया। जज ने कहा कि जो भी आरोपी वहां मौजूद थे, सभी ने कारसेवकों को रोकने का प्रयास किया। ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं मिला, जिससे यह साबित हो सके कि इसके पीछे साजिश रची गई थी। दोपहर 12 बजे विवादित ढांचा के पीछे से पथराव शुरू हुआ। उस वक्त अशोक सिंघल ढांचे को सुरक्षित रखना चाहते थे, क्योंकि ढांचे में मूर्तियां थीं। सीबीआई ने साध्वी ऋतंभरा व कई अन्य अभियुक्तों के भाषण के टेप को सील नहीं किया। 


सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कार्रवाई तेज
यह मामला तमाम अदालतों से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सभी आरोपियों पर आपराधिक साजिश की धारा 120 बी लगाने का आदेश दिया और दोनों मुकदमों को एक साथ लखनऊ की स्पेशल सीबीआई कोर्ट अयोध्या प्रकरण में चलाने का आदेश भी दिया और इस मामले को 2 साल के भीतर खत्म करने का भी आदेश दिया था, जिसका बुधवार को नतीजा सामने आया।