logo

मन की लगन और दिमाग की रोशनी से पढ़कर बनीं भारत की पहली दिव्यांग महिला आईएएस अधिकारी

10816news.jpg
द फॉलोअप टीम, मुंबई:
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। इसे चरीतार्थ किया है भारत की पहली दिव्याग आईएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल ने।आजादी के बाद भारत की पहली महिला आईएएस अधिकारी अन्ना रजम मल्होत्रा थीं। जिनका 19 सितंबर 2018 को 92 साल की उम्र में निधन हो गया था। मल्होत्रा को देश की पहली आईएएस माना जाता है। वह सचिवालय में पद प्राप्त करने वाली भी पहली महिला थीं। इस प्रेरक, दृढ़ और हठीली ईमानदार महिला की प्रेरणादायक कहानी से प्रांजल को हौसला मिला। महाराष्ट्र के उल्लास में रहने वाली प्रांजल की एक आंख की रोशनी छठी कक्षा में ही चली गई थी। एक साल बाद दूसरी ने भी साथ छोड दिया। कोई और होता तो हार मान लेता  पर यह जिन्दगी की चुनौतियों से हार मानने वाली लड़कियों में से नहीं थीं। 



देश में 124 वां स्थान प्राप्त किया
प्रांजल 2016 यूपीएससी परीक्षा में अच्छे अंक न पाकर वे दुखी नहीं हुईंं। 2017 में फिर से परीक्षा देकर 124 वां स्थान प्राप्त किया। इसी के साथ वे केरल कैडर की अब तक की पहली नेत्रहीन महिला आईएएस अधिकारी बनीं। 2016 में परीक्षा देने के बाद उन्हें आईआरएएस में नौकरी दी गई, परंतु रेलवे मंत्रालय ने उन्हें नौकरी देने से साफ इंकार कर दिया था। इसके बाद 2017 में जो हुआ वह हम सब की आँखों के सामने है। क्या खूब कहा है किसी ने कि ‘नदी की लहरों का खौफ मुझे मत दिखाओ, मैंने चलना सीखा है सागर के किनारों पर!’ यह सम्पूर्ण रूप से मानो प्रांजल के लिए ही लिखा गया हो। चाहे माता-पिता हों या पति, उनको हमेशा साथ मिलता रहा। 



संक्षिप्‍त में परिचय जानिये
नाम:          प्रांजल पाटिल 
जन्म:  1 अप्रैल 1988
जगह:   वाडाजी गाँव महाराष्ट्र 
पिता का नाम:   लहेन सिंह पाटिल 
माता का नाम:  ज्योति पाटिल 
पति का नाम:   कोमल सिंह पाटिल 
पेशा:  IAS 
धर्म:  हिन्दू