द फॉलोअप टीम, रांची:
झारखंड हाईकोर्ट में पिछले 5-6 महीने से विधायकों के आवास खाली कराने का मामला उलझा हुआ है। आवास खाली कराने के आदेश के खिलाफ विधायक नवीन जयसवाल की ओर से दाखिल याचिका पर बुधवार को फिर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से पूछा कि जब कोर्ट ने पूरे विधायकों के आवास आवंटन की रिपोर्ट मांगी थी, तो पूरी रिपोर्ट की बजाय सिर्फ 13 विधायकों की रिपोर्ट क्यों दी गई है। नवीन जायसवाल के वकील ने सरकार के जवाब पर प्रति उत्तर दाखिल करने के लिए समय की मांग की। इसपर अदालत ने 25 नवंबर को सुनवाई तय की है।
मनमाने ढंग से आवास आवंटन करने का आरोप
नवीन जायसवाल ने हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को चुनौती देते हुए खंडपीठ में याचिका दाखिल की है। पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से पूछा था कि राज्य में विधायक और मंत्रियों को आवास आवंटित करने का आधार क्या है। इन लोगों को किस आधार पर आवास आवंटित किया जाता है। इसकी रिपोर्ट अदालत में दाखिल की जाए। नवीन जायसवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार ने आवास आवंटन में वरीयता का ख्याल नहीं रखा है और मनमाने ढंग से आवास का आवंटन किया गया है।
'अबतक नियमावली क्यों नहीं बनी?'
इसी मामले में एकल पीठ ने यह स्पष्ट किया था कि राज्य में विधायक व मंत्रियों को आवास आवंटित करने के लिए नियमावली नहीं होने के चलते आवास आवंटन में पारदर्शिता नहीं है और भविष्य में आवंटन में मनमानी रोकने के लिए राज्य सरकार को एक नियमावली बनानी चाहिए।
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सरकारी आदेश को रद्द करने की अपील
नवीन जायसवाल ने अपनी याचिका में कहा है कि पहली बार विधायक बननेवालों को उनसे अच्छे आवास आवंटित कर दिए गए हैं, जबकि वह तीन बार से लगातार विधायक हैं। इसके अलावा किसी सक्षम पदाधिकारी ने आवास खाली कराने का आदेश नहीं दिया है। उन्होंने सरकारी आदेश को रद्द करने की अपील की।