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गया: ईसाई बन गए 125 हिंदू परिवार, पूर्व CM बोले- व्यवस्था ठीक कीजिए तो नहीं जाएंगे दूसरे घर

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द फॉलोअप टीम, गया:

 

गया शहर के नगर प्रखंड के नैली पंचायत के बेलवाटांड़ गांव में करीब 125 महादलित परिवारों ने ईसाई धर्म अपना लिया। इन लोगों ने हिन्दू धर्म का त्याग कर दिया। लोगों ने अपने घरों के बाहर क्रिसमस क्रॉस का निशान भी लगा दिया है। ये महादलित परिवार यीशु की प्रार्थना में शामिल हो रहें हैं। ग्रामीण कह रहे हैं कि वह धर्म बदलकर खुश हैं।

 

जीतनराम मांझी ने दिया बड़ा बयान
इनका कहना है कि जब वह हिन्दू धर्म में थे तो उनको मंदिरों में घुसने नहीं दिया जाता था।  धर्म परिवर्तन के बाद तो उन्हें चर्च में बैठकर प्रार्थना भी करने को मिल रहा है।  इस मुद्दे पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा महादलित अगर धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन रहे हैं तो क्या समस्या है। जिस घर में महादलित लोग थे वहां उन्हें इज्जत मान सम्मान नहीं मिला तो वे दूसरे घर चले गए। संविधान में समानता का अधिकार दिया गया है।  सबसे पहले सिस्टम ठीक करिये फिर देखिये सब कुछ अपने आप ठीक हो जायेगा। 

 

मंदिरों को क्यों धोया जाता है
महादलितों के धर्म परिवर्तन पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि धर्म परिवर्तन से क्या हिंदुस्तान के संवैधानिक पर कोई खतरा थोड़ी है? हमारा देश धर्मनिरपेक्ष राज्य व देश है। जहां अपने मन के धर्म अपनाने की स्वतंत्रता है। महादलित अगर धर्म परिवर्तन कर ईसाई बन रहे हैं तो कोई समस्या नहीं है।  उन्होंने कहा यह सोचने वाली बात है कि लोग हिन्दू धर्म को छोड़कर ईसाई क्यों बन रहे हैं। कहीं न कहीं कोई गलती तो जरूर होती है तभी ऐसा हो रहा है।

 

लोग छुआछूत को मानते हैं
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोग आजादी के 74 साल बाद छुआछूत की बात कर रहे हैं। उन्होंने एक वाकये को याद करते हुए कहा कि जब बिहार के सीएम किसी मंदिर में जाते हैं तो पूरा मंदिर धोया जाता हैआखिर क्या है यह? धर्म के पुजारियों को सुधार लाने की जरूरत है। तब जाकर ही धर्मांतरण को रोका जा सकता है। महादलितों को समाज मे प्रतिष्ठा नहीं मिल रही है। तभी तो वे अपना धर्म बदल रहे हैं। हिंदू समाज को सोचने की जरूरत है। 

 

विकास के लिए बदल रहे धर्म 
आगे वे कहते है कि  कि महादलित लोग अपने विकास के लिए धर्म का परिवर्तन कर रहे हैं।  कॉमन स्कूलिंग सिस्टम की बात भीम राव अम्बेडकर ने कहा था लेकिन अमीर लोग बड़ें स्कूलों में जाते हैं और गरीब बच्चे सरकारी स्कूलों में।  कोई व्यवस्था हीं सही नहीं है तो सबसे पहले सिस्टम ठीक कीजिये। संविधान में समानता का अधिकार है।  उसी आधार पर चलिए सबको शिक्षा एक सामान मिलनी चाहिए। फिर देखिए सभी लोग ठीक रहेंगे.