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गढ़वा: क्रय केंद्र के बाहर रखे किसानों का करीब 2400 क्विंटल धान सड़कर बर्बाद

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द फॉलोअप टीम, गढ़वा: 

धान खरीद के लिए निर्धारित सिस्टम की लापरवाही के कारण बंशीधर नगर प्रखंड के लगभग दो दर्जन से अधिक किसानों की कमर टूट गई है। धान बेचने की आस में सरकारी धान क्रय केंद्र के बाहर किसानों का करीब 2400 क्विंटल धान सड़कर बर्बाद हो गया है। धान के सड़ कर बर्बाद होने से किसानों के सुनहरे सपने चकनाचूर हो गये हैं। पिछले हफ्ते हुई मूसलाधार बारिश से किसानों के धान में अंकुर आ गया या फिर वो सड़ चुका है। किसानों का अनाज गोदाम में पड़ा है। 

कर्मचारियों की लापरवाही से हुआ ऐसा
किसानों की मानें तो क्रय केंद्र प्रभारी ने उन लोगों से धान मंगाने के बावजूद भी नहीं तौला। कर्मियों की लापरवाही के कारण किसानों का धान नहीं खरीदा गया। नतीजतन किसानों का धान पूरी तरह से बर्बाद हो गया। किसानों का कहना है कि वे लोग अपना धान घर पर रखे होते तो कम से कम धान की दुर्दशा नहीं होती। वे लोग आढ़त में अपना धान बेचकर कम से कम लागत तो निकाल सकते थे। अब तो उनका धान बेकार हो गया है, बाजार में बिकने के लायक ही नहीं रह गया है।


अब धान से चावल भी तैयार नहीं होगा
किसान कहते हैं कि आखिर अब हम लोग क्या करें। धान का अब चावल भी तैयार नहीं हो पायेगा। घर ले जाने से भी कोई फायदा नहीं है। हालांकि खरीद की आस में टकटकी लगाए बैठे किसानों ने अपने अपने धान को प्लास्टिक से ढंकने का प्रयास भी किया था लेकिन बारिश के साथ साथ तेज आंधी के कारण प्लास्टिक फट गया और बारिश के पानी से पूरा धान भींग गया। 

केंद्र के बाहर धान सुखाने का प्रयास
उधर कई किसान सोमवार को गोदाम के बाहर ही धान सुखाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन सूखने के बाद धान पूरी तरह से काला हो जा रहा है। किसानों के मन में मंगलवार से होने वाली संभावित बारिश को लेकर भी भय है। उन्हें यह डर सता रहा है कि कल से बारिश हुई तो कुछ भी नहीं बचेगा। किसानों ने गढ़वा जिले के डीसी को एक लिखित आवेदन देकर अपनी व्यथा से उन्हें अवगत कराया है। किसानों को प्रशासन से न्याय का भरोसा है। किसानों ने डीसी से धान का राशि भुगतान कराने की गुहार लगाई है।

सिस्टम से काफी नाराज हैं किसान
धान क्रय केंद्र के गोदाम के बाहर अपना धान सुखा रहे किसान अनुपम कुमार चतुर्वेदी, अनुज सिंह, रघुनंदन कुमार, नीरज कुमार तिवारी सरकार के इस सिस्टम से काफी नाराज है। किसान इस आस में धान को उलट-पलट कर देख रहे हैं कि शायद कुछ धान भींगने से बच गया होगा तो उसे आढ़त में बेचने का प्रयास करेंगे। कम से कम कुछ तो खर्च निकल जाएगा। किसानों ने कहा कि क्रय केंद्र प्रभारी उपेंद्र आनंद और दीपक चौबे के कहने पर हमलोग 18 अप्रैल को अपना धान गोदाम पर लेकर आये थे। उसके बाद से क्रय केंद्र प्रभारी द्वारा आज कल करते हुए हमलोगों का धान नहीं लिया गया जबकि उसके बाद भी कर्मियों द्वारा बिचौलियों का धान लिया गया था। किसानों ने कहा की बिचौलिये कर्मियों को पैसा दे रहे थे जबकि हमलोगों ने पैसा नहीं दिया।

धान की खरीद बंद हो गयी तो क्या करते
धान क्रय केंद्र प्रभारी उपेंद्र आनंद ने कहा कि जब किसानों को धान लेकर बुलाया गया था उसके बाद ही हम दोनों कर्मी कोरोना पॉजिटिव हो गये। जब निगेटिव हुए तब तक 30 अप्रैल से धान खरीद बंद हो गई। खरीद चालू करने का कोई दिशा निर्देश हमलोगों को प्राप्त नहीं हुआ जिस वजह से किसानों का धान नहीं खरीदा जा सका।