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ठंड से हुई एक गरीब वृद्ध की मौत, दो बेटे के पिता ने कचरे में ली आखरी सांस

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द फॉलोअप टीम, धनबाद:
आज एक गरीब ने फिर इस दुनिया को अलबिदा कह दिया। आप कहेंगे इसमें नया क्या है, हर सकेंड किसी ना किसी की कहीं मौत होती है। दरअसल ये इतना सरल भी नहीं है। धरती पर हर धर्म में गरीबों की मदद करने की बात कही गई है। लेकिन धर्म की कौन सी किताब हम और आप पढ़ते हैं, कि हम धर्म के नाम पर मरने- मारने की बात करते हैं, लेकिन धर्म से जो धारण करने की चीज है से हम भूल जाते हैं। सरकार भी अपनी योजनाओं में गरीबों को सबसे पहले रखती है, फिर भी कोई अगर एक कंबल की कमी के चलते मर जाये तो इसे कौन सी धरती कहेंगे।


दो बेटा के रहते पिता मांगते थे भीख 
धनबाद में पूजा टॉकीज के पास से एक वृद्ध का शव बरामद किया गया है। मरने वाले की पहचान निताई बाउरी के रूप में की गई है। पता चला है कि निताई के दो बेटे हैं। इनके बावजूद वह सड़क के किनारे से कचरा चुनकर और भीख मांगकर अपना पेट पालते थे। शनिवार की रात को सड़क के किनारे मंदिर की दीवार के पास सो गए थे। रविवार की सुबह मौत हो चुकी थी। पुलिस की जांच में पता चला है कि रात को ठंड लगने के कारण वृद्ध की मौत हुई है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।


अच्छा हुआ ठंड ने मार दिया वरना 
निताई बाउरी साईं मंदिर के पास दीवाल किनारे बैठ कर भीख मांगते थे, और फिर वहीं सो जाते थे। रविवार की सुबह वे उठे हीं नहीं। आज जब पुलिस पहुंची तो भीड़ शव को ले जाते देख रहा था, इस भीड़ में चेहरे कई थे, लेकिन सब तो बनाओटी इंसान हीं थे, क्या हुआ आज कोई मर गया, आज ठंड ने नहीं मारा बल्कि उसने गरीबी से हमेशा- हमेशा के लिए राहत दी है। ऐसे भी जिन्दा रह कर क्या करता बाउरी खाने के लिए भगवान के भक्तों का आने का इंतजार करना पड़ता था, सड़क के किनारे खुली आसमान की ओर हर दिन यही देखते हुई नींद आती थी, की कल शायद ज्यादा भीख मिले। गरीबी में जन्म लिया निताई गरीबी में हीं मर गया, इसमे इसकी गलती है, सरकार तो अनाज के द्वार और घरों की छत सबके लिए खोल रखी है। कोयला राजधानी में रहने वालो करोड़ो रूपये कमाने वालो आप भी उदास मत हों क्योंकि ऐसे भी बाउरी शहर की सुंदरता खराब करता था। ऐसे लोगों को समाज में रहने का हक कहां है। आप जयपुरी रजाई में एक पल भी ऐसे लोगों के बारे में मत सोचिएगा। सोचना तो सिर्फ सरकार को चाहिए था।