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चाईबासा: 30 गांवों में महिलाओं ने नशे के खिलाफ छेड़ा अभियान, पकड़े जाने पर वसूलती हैं हजारों का जुर्माना

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द फॉलोअप टीम, चाईबासा: 

पश्चिम चाईबासा में गोंड भुइयां समाज की आदिवासी महिलाओं ने नशे के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है। यहां यदि कोई शराब बनाता, बेचता या पीता हुआ पकड़ा गया तो समझो उसकी शामत आ गई। इलाके में शराब बनाने या बेचने के आरोप में पकड़े जाने पर 5 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है वहीं यदि कोई पीता हुआ पकड़ा गया तो उसे 1 हजार रुपये का जुर्माना भरना होगा। वसूली गई राशि नशामुक्ति अभियान के काम में ही खर्च की जाती है। 

300 से ज्यादा लोगों को दिलाई नशामुक्ति की शपथ
मिली जानकारी के मुताबिक अब तक 300 से ज्यादा लोगों को नशामुक्ति की शपथ दिलाई जा चुकी है। 2 राज्यों की सीमा पर बसे 60 से ज्यादा आदिवासी बहुल गांवों में ये अभियान चलाया जा रहा है। इनका मकसद है नशे की वजह से बिखरने की कगार पर खड़े परिवारों को बचाना। आंदोलन में 35 गांवों की 10 हजार से ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं। महिला संगठन ने बीते 30 दिनों में 20 लोगों से जुर्माना वसूला है। 12 लोगों से 5 हजार और 8 लोगों से 1 हजार रुपया वसूला गया। 

गौरवशाली अतीत रहा है भुइयां आदिवासी समाज का
आंदोलन से जुड़ी गोंड आदिवासी समुदाय की सूर्यमनी गोंड ने बताया कि ओड़िशा और सिंहभूम में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भुइयां विद्रोह हुआ था। इसके नायक धऱणीधर नायक थे। उसी तर्ज पर हम उनकी तस्वीर सामने रखकर नशा नहीं करने की शपथ लेते हैं। सारंडा के पहाड़ी अंचलों से शुरू हुआ ये आंदोलन गोनासिका, बांसपाल, हातपोड़ा, सुव्वाकाठी, शहरपुर, न्याकोट, फुलझार, लोहनीपोड़ा, कुइड़ा, गोवाली, बड़, कालीमाटी, बसंतपुर, गानुअवा होते हुए तकरीबन 60 गावों तक पहुंच चुका है। आंदोलन से जुड़ी अधिकांश महिलायें या तो निरक्षर हैं या पांचवी-आठवीं तक ही पढ़ी हैं। आंदोलन का खौफ ऐसा है कि हाट बाजार में लगने वाला हंडिया और महुआ शराब की दुकान बदं हो चुकी है। लोग शराब पीने से कतराने लगे हैं। पहल काम आ रही है। 

भुइयां गोंड समाज में सामाजिक बदलाव जरूरी
आंदोलन से जुड़ी आदिवासी महिलाओं का मानना है कि शराब की वजह से उनका समाज रसातल में जा रहा है। परिवार टूट रहे हैं। समाज प्रगति पथ पर आगे नहीं बढ़ पा रहा है। लोग शराब पीकर बीमार पड़ते हैं। परिवार के मुखिया का जल्दी निधन हो जाता है। इसका परिणाम ये होता है कि पूरा परिवार आर्थिक रूप से पंगू हो जाता है। सामाजिक बदलाव जरूरी है। उनका कहना है कि भुइयां समाज का एक गौरवशाली अतीत रहा है जिसे जिंदा करना जरूरी है।