द फॉलोअप टीम, डेस्क:
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से भयभीत लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर भी कई सवाल और भ्रांतियां है। सवाल है कि वैक्सीन कितना सेफ है। वायरस के खिलाफ कितना कारगर है। अफवाह भी फैलाई जा रही है। गंभीर साइड इफेक्ट्स की बात भी सामने आई। ऐसे वक्त में हेल्थ एक्सपर्ट्स ने सारी भ्रांतियों को स्पष्ट किया है। तमाम कन्फ्यूजन को दूर किया है। बताया है कि वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है। इसके लिए दुनिया भर में कई शोध किये गये और जवाब तैयार किया गया।
कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करेगा वैक्सीन
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन कोरोना वायरस के प्रभाव को काफी कम कर देगी। वैक्सीन लगवाने के बाद संक्रमण हो सकता है लेकिन उसका लक्षण गंभीर या जानलेवा नहीं होगा। वायरस केवल सर्दी जुकाम तक ही सीमित रह जायेगा। वैक्सीनेशन अभियान की मॉनिटरिंग के बाद ये पाया गया है कि वैक्सीन की एफिकेसी 84 से 91 फीसदी तक है। इसका मतलब है कि वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में संक्रमण का प्रभाव गंभीर नहीं हुआ। वे आराम से ठीक हो गये।
वैक्सीन लगवाने के बाद वायरस जानलेवा नहीं होगा
शोध में ये भी पता चला है कि रोग की गंभीरता को कम करने में कोविड वैक्सीन 100 फीसदी तक कारगर साबित हुआ है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद इसकी गारंटी नहीं है कि उस व्यक्ति को दोबारा संक्रमण नहीं होगा, लेकिन इस बात की गारंटी है कि वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति में संक्रमण कोई गंभीर लक्षण पैदा नहीं कर पायेगा। कहा जा रहा है कि वैक्सीन लगवाने के बाद मृत्यु दर में 100 फीसदी तक की गिरावट आ गयी है।
वैक्सीन लगाने के बाद भी इसलिए होता है संक्रमण
कई लोगों के मन में ये सवाल है कि वैक्सीन का डोज लगवाने के बाद भी किसी व्यक्ति को क्यों संक्रमण हो जाता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इसका भी जवाब दिया है। उनका कहना है कि पहला डोज पड़ते ही शरीर को पता चलता है कि यही वो वायरस है जिसके खिलाफ लड़ने की क्षमता विकसित करनी है। शरीर में एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। कुछ दिनों बाद दूसरा डोज दिया जाता है जिसे बूस्टर डोज कहते हैं। दूसरा डोज लगने के बाद 40 से 45 दिन बाद शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है जो वायरस के प्रभाव को कम कर सके। इसका मतलब है कि सावधानी बरतनी होगी।
वैक्सीन से केवल नॉर्मल फ्लू रह जायेगा कोरोना
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि शरीर में एंटीबॉडी बनने में वक्त लगता है। अधिकतम 40 दिन तो लगते ही हैं। ऐसा नहीं है कि सुबह वैक्सीन लगाई और शाम को इंफेक्शन नहीं होगा। पहला डोज लगने के 15 से 20 दिन के बाद एंटीबॉडी बनने लगता है। दूसरा डोज जब लगाया जाता है तो फिर 20 दिन का वक्त लगता है। कुल मिलाकर डेढ़ महीने में शरीर वैसा हो जाता है कि वायरस का मुकाबला कर सके। इसके बाद यदि संक्रमण होगा भी तो नॉर्मल फ्लू से ज्यादा नहीं रह जायेगा।
वैक्सीन लगवाने के लिए सबको आगे आना चाहिए
विशेषज्ञों का कहना है कि वैक्सीन लगवाने के बाद भी लापरवाही नहीं बरतना है। नियमों का पालन करना है। यदि देश में सत्तर फीसदी लोगों को वैक्सीन लग जायेगी तो यहां हर्ड इम्युनिटी विकसित हो जायेगा। तब यदि किसी को संक्रमण होगा भी तो वो नॉर्मल फ्लू से ज्यादा नहीं रह जायेगा। किसी की मौत नहीं होगी। लोगों को अस्पतालों में नहीं जाना होगा। वेंटिलेटर या ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ेगी। गंभीर लक्षण नहीं पैदा होंगे। और जब 100 फीसदी लोग वैक्सीनेट हो जायेंगे तो इस महामारी का खात्मा हो जायेगा। जरूरी है कि वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज की जाये।