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बसंत गोष्ठी: पियराई सरसों लहलहाने लगे, प्रेम पातियां हवा बंटवाने.....

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द फॉलोअप टीम, रांची:
वरिष्ठ कवयित्री डॉ सुरेंद्र कौर नीलम के शब्द  और स्वंर भी उनके गंभीर। गीत गूंजा, पियराई सरसों लहलहाने लगे, प्रेम पातियां हवा बंटवाने लगे तो समझो वसंत आ गया…जिक्र बसंत गोष्ठी का है। ऑनलाइन आयोजन सृजन संसार रांची ने किया था। गोष्ठी का संयोजन कवि और लोक गायक सदानंद सिंह यादव ने किया। संचालन बिम्मी प्रसाद वीणा ने किया। बतौर मुख्य अतिथि नेहाल हुसैन सरैयावी, डॉ सुनीता यादव और विशिष्ट अतिथि प्रयागराज से डॉ शिशिर सोमवंशी शामिल रहे। 

ऋतु बसंत आ गई, खिलने लगी बहार…
मीनू मीना सिन्हा मीनल ने सुन री सखी बसंत आया है…, कल्याणी झा कनक ने प्रिय आओ चलो, उस डगर पे साथ चलते हैं…, गीता चौबे गूंज ने ऋतु बसंत आ गई, खिलने लगी बहार…, संगीता सहाय अनुभूति ने फाग बसंती…, रेणु बाला धार ने फूलों का अंबर लाया बसंत बहार… तो रंजना वर्मा उन्मुक्त ने राजा ऋतुओं का कहे, बासंती है रंग सुनाया।


इनकी भी रचना प्रशंसनीय
गोष्ठी में मनीषा सहाय सुमन, डॉ राजश्री जयंती, कामेश्वर कुमार कामेश, सुनीता यादव, डॉ श्रीमाली सुमी,डॉ रजनी शर्मा चंदा, विभा वर्मा, पुष्पा सहाय गिन्नी, मुनमुन ढाली, राम नरेश यादव, चंद्रिका ठाकुर देशदीप, सूरज श्रीवास्तव, गुमला से प्रेम हरि हजारीबाग से पुष्कर कुमार पुष्प, खुशबू बर्णवाल सीपी, संध्या चौधरी उर्वशी और डॉ आकांक्षा चौधरी कर रचनाएं भी प्रशंसनीय रहीं।