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टूटी उम्मीद की डोर! ब्लैक फंगस से पीड़ित उषा देवी की मौत, 2 दिन पहले ही हुआ था ऑपरेशन

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

रिम्स में भर्ती ब्लैक फंगस की मरीज उषा देवी की रविवार को मौत हो गई। उषा के परिजन आक्रोशित है। परिजनों का कहना है कि मरीज के इलाज में लापरवाही हुई इस वजह से उसकी मौत हो गयी। बता दें कि दो दिन पहले ही उषा का सफल ऑपरेशन हुआ था। आपरेशन में उषा का ऊपरी जबड़ा, नाक की हड्डी और बाईं आंख निकालनी पड़ी थी। 

स्वास्थ्य मंत्री और रिम्स प्रबंधन माने गलती
महिला का हीमोग्लोबिन काफी कम था। आपरेशन के वक्त हिमोग्लोबिन की मात्रा सिर्फ छह थी। हाइ रिस्क में महिला का आपरेशन हुआ था।  अब परिजनों का कहना है कि जब तक स्वास्थ्य मंत्री और रिम्स प्रबंधन अपनी गलती नहीं स्वीकार करता है तब तक वे उषा देवी के शव को नहीं लेंगे। समाचार लिखे जाने तक परिजन हॉस्पिटल में जमे थे। 

हाई कोर्ट के फटकार के बाद ऑपरेशन 
बता दें कि रिम्स के डॉक्टरों ने ब्रेन तक संक्रमण फैल जाने के बाद मरीज को दूसरे राज्य ले जाने को कहा था। लेकिन बच्चों के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे अपनी मां का इलाज करवा सकें। ऐसे में जब हाई कोर्ट तक बात पहुंची थी तब हाई कोर्ट ने रिम्स प्रबंधन को फटकार लगाई थी। जिसके बाद ही  रिम्स में उषा देवी का सफल ऑपरेशन किया गया। था।  इस मामले पर संज्ञान लेते हुए झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ. रविरंजन और जस्टिस एस. एन. प्रसाद की अदालत ने गंभीर मौखिक टिप्पणी की थी। हाई कोर्ट ने सख्त मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा था सरकार के अधिकारी ने कैसे कहा कि हमारे पास फंड नहीं है। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डॉ. रविरंजन ने कहा कि अगर मेरे पास पैसे होते तो मैं खुद पीड़िता का इलाज करवाता। उन्होंने इस मामले को संवेदनशील बताया था ।

बच्चों ने मां के लिए मांगी थी इच्छामृत्यु
उषा देवी के बच्चों ने रिम्स परिसर में धरना देकर अपनी मां के लिए इच्छामृत्यु की मांग की थी। दरअसल उषा देवी अप्रैल के महीने में कोरोना से संक्रमित हुईं थीं। उसने कोरोना से तो जंग जीत लिया लेकिन ब्लैक फंगस से ग्रसित हो गई थी। महिला के बेटे गौरव के मुताबिक मां जैसे ही ब्लैक फंगस से ग्रसित हुई वे अपनी मां को लेकर रिम्स आ गया था। जहां डॉक्टरों ने इलाज करने में दो दिन से ज्यादा समय लगा दिया था। महिला को पहले रिम्स के ओल्ड ट्रॉमा सेंटर में रखा गया और अब डेंगू वार्ड में भर्ती कर दिया गया था। परिजनों का आरोप था कि बीपी और शुगर बढ़ने का बहाना बनाते हुए डॉक्टरों ने दो बार ऑपरेशन टाल दिया, जिससे स्थिति बिगड़ गई और इंफेक्शन ब्रेन तक पहुंच गया। 

इलाज कराने लायक आर्थिक स्थिति नहीं थी
महिला की बेटी पूजा ने बताया था कि इलाज में दो लाख रुपये खर्च हो गए थे जिससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है। आर्थिक तंगी और  मां की परेशानी को देखते हुए दोनों भाई बहन ने अपनी मां के इलाज के लिए सरकार से गुहार लगाई थी। उन्होंने चिकित्सकों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था।