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कृषि कानून वापस नहीं लेगी केंद्र सरकार, केजरीवाल ने कहा अस्थायी जेल बनाने का था दबाव

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द फॉलोअप टीम, नई दिल्ली
कृषि सुधार कानूनों को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच गतिरोध बना हुआ है। तीन कृषि कानूनों को रद करने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत दर्जनभर राज्यों के किसानों का धरना-प्रदर्शन 12वें दिन में प्रवेश कर गया है। इधर केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वे कृषि कानून को वापस नहीं लेंगे। कानून में संशोधन करने को सरकार तैयार है। 
सरकार और किसान संगठनों के बीच लगातार बातचीत जारी है। दोनों पक्षों के बीच पांच दौरे की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। किसान संगठनों ने आठ दिसंबर को भारत बंद का एलान किया है।

दिल्ली के सराकर पर था अस्थायी जेल बनाने का दवाब 
सोमवार सुबह दिल्ली के मुख्ममंत्री अरविंद केजरीवाल सिंघु बॉर्डर पर पहुंचे। उन्होंने यहां पर किसानों के लिए किए गए इंतजामों का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार पर किसानों के लिए अस्थायी जेल बनाने का दबाव था, लेकिन यह बात नहीं मानी गई। बता दें कि किसानों के आंदोलन को आम आदमी पार्टी (आप) लगातार समर्थन दे रही है। सोमवार को केजरीवाल के किसानों के समर्थन में खड़ा होना कई चीजों की तरफ ईशारा कर रही हैं। 

गोपाल राय ने दी सम्मान लौटाने की धमकी 
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ट्वीट कर कहा कि किसान सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार सुनने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार टालमटोल करने के बजाय किसानों की मांगों को पूरा करे। राय ने कहा कि दिल्ली की सीमा पर अन्नदाता सड़कों पर रात गुजार रहे हैं, यह ठीक नहीं है। इस बीच रविवार को सिंघु बॉर्डर पर जमा हजारों किसानों के बीच पहुंचे  बॉक्सर बिजेंद्र सिंह ने केंद्र सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की। इस दौरान उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह अपनी राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड वापस कर देंगे।