logo

शास्त्रीय संगीत समारोह के अंतिम दिन ऑड्रे हाउस में लगी वाद्ययंत्रों की कचहरी

5761news.jpg
द फॉलोअप टीम, रांची: 
देश भर से जुटे फनकारों के फन से रोज सतरंगी हो रही ऑड्रे हाउस में शाम आज थम गई। कलांजलि नामक तीन दिवसीय शास्त्रीय संगीत समारोह का रंगारंग समापन हो गया। लेकिन हैरत में लोग तब पड़ गए जब वाद्ययंत्रों की कचहरी लगी। जिसमें अयोध्या से पहुंचे विजय राम दास के पखावज की थाप, भारतीय-अमेरिकी पंडित हिंडोल मजूमदार के तबले की थपक और कोलकाता के सोमनाथ रॉय के घटम की टंकार ने सांगीतिक वाद-विवाद आरंभ किया तो कोलकाता के ही सनातन गोस्वामी के हारमोनियम ने सारंगी बन उसे मधुर-सुरीले संवाद में तब्दील कर दिया। आदि ताल तक तक तक धिन था….पर दर्शक-श्रोताओं की तालियों ने भी जमकर जुगलबंदी की



सुर्ख आलता को मोहक करती हौले-हौले घुंघरू की झनक
गौर वर्ण पर खिलती बैगनी कटकी साड़ी झिलमिल। पैरों में सुर्ख आलता को मोहक करती हौले-हौले घुंघरू की झनक। नृत्यांगना हैं डॉ कावेरी सिंह। ढोल की थपक द्रुत होते ही उनकी दैहिक वाचलता ने हारमोनियम की मद्धिम होते स्‍वर को और लय दे दी। बिल्कुल भरत नाट्यम की तरह सिर, शरीर और पैर की मुद्राएं और अभिव्यक्तियां पग-पग आस्था को सात्विंक करती रहीं। कावेरी के ओडिसी नृत्य ने रूह को सुकून बख्शा। करबद्ध नर्तन मानो पुष्प अर्पित कर रही हो भगवान जगन्नाथ को। उसके बाद नदियों  सी लचक संग सखी को नयनों से बुलाना। अदभुत। जगन्नाथ स्वामी से आरंभ कर उन्होंने अपना नृत्य मोक्ष से समापन किया। सुनंदो मुखर्जी, सौम्य रंजन नायक, शुभंकर और शिखर ने साज से दिया।



बांसुरी की मधुर ध्वनि में उपजा प्रेम का स्वर
सफेद-कुर्ते में जब खिचड़ी दाढ़ी वाले लड़के ने बांसुरी थामी, तो दर्शकों ने पहले ही अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी। यह सामान्य  सा लड़का क्याव सुनाएगा। उनके मन-मस्तमक पर एक दिन पहले पंडित रोनू मजूमदार का बांसुरी वादन था। लेकिन गिरिडीह के इस युवा बांसुरी वादक राग यमन ने जब वादन किया तो अचंभित हो गया मजमा। इंसान का जैसे साए के साथ रिश्तादहोता है, राग की बरताव बांसुरी के साथ वैसा ही रहा। प्रेम का स्वार वादन में मुखर होता और बांसुरी की मनमोहक ध्वनि में खोते गए लोग। 



सानिया के गायन और अंजना के सितार ने भी फिजा की खुशनुमा 
कलांजलि के आखिरी लम्हें को पुणे से पहुंची सानिया पाटेनकर की टोली के गायन, कोलकाता के पंडित अंजना साहा के सितार ने खुशनुमा बनाया। रांची के पंडित सतीश शर्मा के गायन ने भी राहत ही दी। इंद्रधनुषी महफिल का आनंद आयोजक कला-संस्कृंति विभाग के सहायक निदेशक विजय पासवान, विपुल नायक, डॉ केके बोस, कुमार बृजेंद्र और चंद्रदेव सिंह समेत सैकड़ों लोगों ने उठाया।