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भाषा के सवाल को लेकर सरकार में बात रखने का शिक्षा मंत्री ने दिया आश्‍वासन

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द फॉलोअप टीम, रांची:

भारतीय जनतंत्र मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी ने आज प्रदेश के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से मुलाकात की। उन्होंने मांग पत्र सौप कर सरकार को भोजपुरी, मगही, अंगिका, मैथिली को झारखंड में होने वाली परीक्षाओं में शामिल करने का आग्रह किया है। शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया है कि इस सम्बन्ध में वे सरकार से बात करेंगे । दरअसल  कैबिनेट ने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा (जेपीएससी, एसएससी) आदि में 30 अंक की परीक्षा स्थानीय भाषा में देना अनिवार्य कर दिया है। इसके तहत  12 स्थानीय भाषा को शामिल किया गया है। जिसमें  उर्दू, संथाली, बंगला, मुंडारी, हो, खड़िया, कुड़ुख, कुरमाली, खोरठा, नागपुरी, पंचपरगनिया, उड़िया शामिल है। झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा में इन 12 भाषाओं में से किसी एक भाषा में 30 नंबर की परीक्षा देना अनिवार्य होगा। मंत्री से मिलने वालों में मुकेश पांडे , आशीष शीतल मुंडा , सुशील कुमार,  अनुरंजिता सिंह,  नवेंदु तिवारी,  आलोक कुमार सिंह,  उपेंद्र यादव और श्याम बिहारी नायक भी शामिल थे।

कितने लोग हैं भाषा बोलने वाले

धर्मेंद्र तिवारी ने बताया कि  मगही, भोजपुरी, मैथिली और अंगिका भाषाओं से जुड़ी जन भावनाओं को देखते हुए सरकार को विचार करना होगा।  बताया कि अंगिका दुमका, जामताड़ा, देवघर, गुड्डा, साहिबगंज और पाकुड़ में अधिक बोली जाती है। मैथिली जमशेदपुर दुमका, देवघर, गोड्डा, साहिबगंज, रांची, बोकारो और धनबाद में, तो  मगही, लातेहार, पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा और हजारीबाग तो भोजपुरी सभी जगहों पर बोली जाती है। मगही बोलने वाले 18 लाख 34 हजार, भोजपुरी 6 लाख 67 हजार जबकि मैथिली बोलने वाले झारखंड में 8 लाख लोग हैं।भारतीय जनतंत्र मोर्चा का एक प्रतिनिधि मंडल राज्यपाल और मुख्यमंत्री से भीजल्‍द मिलकर  मगही, भोजपुरी, मैथिली तथा अंगिका भाषा को भी इन प्रतियोगिता परीक्षा में शामिल करने का आग्रह करेगा।