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रिम्स के डॉ.सिराजुद्दीन की मौत पर साथियों में आक्रोश, मुआवजा नहीं देने पर आंदोलन की चेतावनी

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द फॉलोअप टीम, रांची: 
रिम्स में कार्यरत जूनियर डॉक्टर सिराजुद्दीन की मौत हो गयी। डॉ. सिराजुद्दीन कोरोना संक्रमित थे। डॉ. सिराजुद्दीन के निधन से साथी चिकित्सकों में काफी रोष है। साथी चिकित्सकों का कहना है कि सरकार की तरफ से स्वास्थ्यकर्मियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 

आलम हॉस्पिटल में हो रहा था इलाज
जानकारी के मुताबिक डॉ. सिराजुद्दीन का इलाज आलम हॉस्पिटल में किया जा रहा था। उनकी हालत काफी गंभीर थी। बचाने के लिए ईसीएमओ मशीन की जरूरत थी। ये मशीन केवल मेडिका में थी। उनको मेडिका भी शिफ्ट किया गया लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। सोमवार को उनका निधन हो गया। 
परिवार के लिए मुआवजे की मांग
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी डॉ. विकास ने कहा कि सिराजुद्दीन अपने पीछे पत्नी और 3 बच्चों को छोड़ गये हैं। इलाज में काफी खर्चा हो चुका है। जेडीए की मांग है कि मेडिका औऱ आलम अस्पताल में डॉ.सिराजुद्दीन के इलाज में जो भी खर्चा आया है उसका वहन राज्य सरकार करे। परिवार को मुआवजा भी दिया जाये। परिवार पर आर्थिक संकट नहीं आना चाहिए। 

चिकित्सकों को नहीं मिली प्रोत्साहन राशि
जेडीए के सचिव डॉ. अनीतेश गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार केवल प्रोत्साहन राशि की घोषणा करती है। ना तो प्रोत्साहन राशि मिलती है और ना ही बकाया एरियर का भुगतान किया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के डॉक्टर सरकार की गलत नीतियों का शिकार हो गये हैं। चिकित्सकों को केवल आश्वासन दिया जा रहा है। चिकित्सकों का मनोबल टूटने लगा है। इसमें सुधार की जरूरत है। 

मांगे नहीं मानी तो होगा आंदोलन
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने सरकार के सामने कुछ मांगे रखी हैं। इनकी मांग है कि कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों के आश्रितों को मुआवजा दिया जाए। कोरोना संक्रमित स्वास्थ्य कर्मी के इलाज पर जो भी खर्चा आता है, स्वास्थ्य बीमा द्वारा सरकार उसका भुगतान करे। कोरोना मरीजों के इलाज में लगे डॉक्टरों से सप्ताह में केवल 48 घंटा ही काम लिया जाये।

एरियर और प्रोत्साहन राशि का भुगतान समय पर किया जाये। एसोसिएशन ने रिम्स में ईसीएमओ मशीन की भी मांग की है। जेडीए ने कहा कि यदि उनकी मांग नहीं मानी गयी तो चिकित्सकों को आंदोलन के लिए विवश होना पड़ेगा।