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दादा साहब फाल्के के नाम पर पुरस्कार के फिल्मी खेल को समझिये

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पंकज शुक्ल, मुंबई:
हिंदुस्तान की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' 3 मई 1913 को रिलीज हुई थी। इसे संभव किया था दादा साहब फाल्के (30 अप्रेल1870-16 फरवरी 1944) ने। भारत में जब सिनेमा का कोई वजूद नहीं माना जाता था। दादा साहब ने ही फिल्मों को नई जिंदगी दी। उन्‍हीं के नाम पर दिया जाने वाला हिंदी सिनेमा में सबसे प्रतिष्ठित सम्मान है, दादा साहब फाल्के पुरस्कार। लेकिन आजकल इनके नाम पर कई अवार्ड दिए जाने से भ्रम की स्थिति बनी रहती है। इसलिए आपको सरकारी दादा साहब फाल्के पुरस्कार और मुंबइया दादा साहब फाल्के पुरस्कार के अंतर को समझना होगा। अमिताभ बच्चन के हाथों में भारत सरकार से मिलने वाला सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार है। राष्ट्रपति इस पुरस्कार में उन्हें एक स्वर्ण कमल दे रहे हैं। नीचे शिल्पा शेट्टी और गजेंद्र चौहान के हाथ में जो है, वे मुंबइया दादा साहब फाल्के पुरस्कार हैं। और, इनका वास्तविक दादा साहब फाल्के पुरस्कार से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। 

 

पहला दादा साहब फाल्के पुरस्कार देविका रानी को मिला
देश में सिनेमा का ये सर्वोच्च सम्मान दिए जाने की परंपरा भारत सरकार ने 1969 से शुरू की थी। पहला दादा साहब फाल्के पुरस्कार देविका रानी को दिया गया था। उसके बाद से अब तक ये पुरस्कार 52 लोगों को दिया जा चुका है। अब तक साल 2019 तक के दादा साहब फाल्के पुरस्कार घोषित हो चुके हैं। आखिरी पुरस्कार अभिनेता रजनीकांत को उनके सिनेमा के क्षेत्र में अप्रतिम योगदान के लिए घोषित किया गया। इस पुरस्कार में एक शॉल, एक स्वर्ण कमल, एक प्रमाण पत्र और दस लाख रुपये मिलते हैं। इन पुरस्कार विजेताओं की पूरी सूची आप यहां भारत सरकार के फिल्म समारोह निदेशालय की वेबसाइट पर देख सकते हैं। 

 

दादा साहब फाल्के इंटरनेशनल फिल्म अवार्ड
इसी साल फरवरी में मुंबई में दादा साहब इंटरनेशनल फिल्म अवार्ड भी शुरू हुए। जिसमें हंसल मेहता की वेब सीरीज ‘स्कैम 1992’ को पुरस्कार मिलने की बाकायदा प्रेस रिलीज इसकी निर्माता कंपनी की तरफ से जारी की गई। यह ट्रॉफी भारत सरकार से मिलने वाला सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार नहीं है।

 

द लेजेंड दादा साहब फाल्के अवार्ड
भारत सरकार की तरफ से दिए जाने वाले सिनेमा के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार के नाम से मिलते-जुलते पुरस्कार द लेजेंड दादा साहब फाल्के अवार्ड अभी कुछ दिनों पहले मुंबई में और बांटे गए। भारतीय फिल्म एंड टीवी प्रशिक्षण संस्थान, पुणे के अध्यक्ष रह चुके चर्चित अभिनेता गजेंद्र चौहान इस पुरस्कार को पाने के बाद सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हुए। यह ट्रॉफी भारत सरकार से मिलने वाला सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार नहीं है।

 

(मूलत: उत्तर प्रदेश के उन्नाव के रहने वाले पंकज शुक्ल ने अमर उजाला में करीब दशक भर रिपेर्टिंग की। टीवी पत्रकारिता की ओर रुख किया। जी न्यूज, एनएचएम वन न्यूज, ई-24 और जी 25 घंटे छत्तीसगढ़ में सेवाएं दीं। कई चर्चित कार्यक्रम किए। इसके बाद फिल्मी दुनिया पहुंचे। बतौर लेखक-निर्देशक पहली फिल्म भोले शंकर। उसके बाद चार शॅार्ट मूवी बनाई, जिसकी बहुत चर्चा हुई। कई फेस्ट में प्रदर्शित। संप्रति मुंबई में रहकर स्वतंत्र लेखन।)
 

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।