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झारखंड के गांवों की बदल रही स्वास्थ्य तस्‍वीर, दिशोम गुरु पोषण वाटिका योजना बनी वाहक

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द फॉलोअप टीम, रांचीः

वेलफेयर स्‍टेट का मकसद होना ही चाहिए कि नागरिकों के कल्‍याण केलिए ईमानदारी से प्रयास किए जाएं। सरकारी योजनाएं महज बनें नहीं, धरातल पर भी दिखलाई दें, तभी सामाजिक और आर्थिक बदलाव संभव है। हेमंत सोरेन की अगुवाई में चल रही झारखंंड सरकार की ऐसी ही एक योजना है, दिशोम गुरु पोषण वाटिका योजना। इसका सकारात्मक परिणाम नजर आने लगा है। इसकी मिसाल बना है, सरायकेला के कुचाई प्रखंड का जंगल और पहाड़ों से घिरे आदिवासी गांव मांगुडीह। गांव की महिलाओं-बच्चों की थालियों तक पौष्टिक भोजन पहुंच रहा है, जिससे उनके स्वास्थ्य में लगातार सुधार आ रहा है।  

थालियों तक पहुंच रहा पौष्टिक भोजन

मांगुडीह गांव के ग्रामीणों की जीविका का मुख्य आधार कृषि है। सरकार के स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और एमयूएसी से ग्रामीणों के कमजोर शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में पता चला। इसके बाद ग्रामीणों के स्वास्थ्य में सुधार हेतु झारखण्ड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसायटी ने प्रयास शुरू किये। गांव में पोषण को लेकर जागरूकता कार्यक्रम शुरू हुआ, तो कड़ियां जुड़नी शुरू हो गईं। ग्रामीणों ने माना कि भोजन की थाली में साग-सब्जियों की मात्रा बढ़ने से स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। 

किचन गार्डेन में उग रहीं हैं सब्जियां

झारखण्ड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी के पोषण से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम से प्रभावित होकर बेलमती हेम्ब्रोंम ने किचन गार्डेन के लिए कदम बढ़ाया। इसके बाद जब उसे दिशोम गुरु पोषण वाटिका योजना से आच्छादित करते हुए जेटीडीएस की मदद से बीज, खाद व तकनीकी जानकारी दी गई। मदद मिलते ही बेलमती ने घर के पास किचन गार्डेन में सात तरह की साग-सब्जियों का उत्पादन शुरू किया। इससे उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आया। उसे सब्जियां खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती। इतना ही नहीं, पौष्टिक भोजन मिलने से बेलमती ने अपना वजन दो किलो बढ़ा लिया। उसके घर में भी सभी को अब पौष्टिक खाना मिलने लगा है। बेलमती को देखकर बाकी ग्रामीण भी इस योजना से जुड़कर घरों के पास ही अपने उपयोग के लिए सब्जियों की खेती कर रहे हैं। 

जेटीडीएस बना है बदलाव का माध्यम 

दिशोम गुरु पोषण वाटिका योजना को जेटीडीएस के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है। जेटीडीएस ग्रामीणों को इस योजना की जानकारी देने के अलावा बीज, खाद सहित अन्य जानकारियां उपलब्ध करा रहा है। योजना से गांव की महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। झारखण्ड में महिलाओं और बच्चों में आज भी कुपोषण की दर ज्यादा है। ग्रामीण इलाकों की महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं। राज्य सरकार ने महिलाओं व बच्चों में कुपोषण को दूर करने और उन्हें अच्छा और पौष्टिक भोजन मिल सके, इसके लिए दिशोम गुरु पोषण वाटिका योजना की शुरुआत की है। इनमें मौसम के अनुकूल तरह-तरह की सब्जियां उगाई जा रही हैं, ताकि ग्रामीणों को जरूरत के मुताबिक सब्जियां उनके घर के आंगन में ही उपलब्ध हो सके।