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कांके प्रखंड के किसानों ने बंदी को बताया विफल

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द फॉलोअप टीम, रांची
तीन नए कृषि कानूनो को लेकर देश के साथ सात प्रदेश की राजनीत भी गर्म है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे को किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन बता रहे हैं। किसानों के नाम पर राजनीति गहमागहमी चरम पर है। मंगलवार को किसानों ने भारत बंद बुलाया था जिसका कई राजनीतिक दलों ने समर्थन किया था। इस दौरान राजधानी रांची कांग्रेस झामुमो, आरजेडी, सीपीआई के नेता और कार्यकर्ता भी सड़कों पर नजर भी आए।

बंद हो किसानों के नाम पर राजनीति 
मांगलवार की बंदी को लेकर वेजफेड के पूर्व निदेशक और उत्कृष्ट किसान से सम्मानित नकुल महतो के नेतृत्व में कांके प्रखंड के किसानों ने संवाददाता सम्मेलन कर आज की बंदी को विफल बताया। उन्होंने कहा कि किसानों के नाम पर सिर्फ राजनीति हो रही है। सड़कों पर जो लोग भी बंद के समर्थन में नजर आए वह सिर्फ राजनीतिक दल के लोग थे, उनमें से कोई भी किसान नहीं था।

पूर्व निदेशक ने कृषि कानून बिल का किया समर्थन 
वेजफेड के पूर्व निदेशक सह उत्कृष्ट किसान नकुल महतो ने कृषि कानून बिल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की ओर लागू नए कृषि कानून से किसानों को लाभ होगा, जिससे किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होना है। लेकिन जिस प्रकार बंद का वाहन किया गया, उससे सिर्फ किसानों का नुकसान हुआ है। एक किसान, एक बाजार, एक देश जब होगा, तो किसानों की फसल को हर जगह अधिक दाम मिलेगा और इससे सिर्फ किसान को ही फायदा मिलेगा और अपने उत्पादन को कहीं भी और कोई भी मंडी में ले जाकर बिक्री कर सकते हैं।

किसानों की हितैषी नही है हेमंत सरकार 
राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार अगर किसानों की हितैषी होती, तो धान खरीद पर रोक नहीं लगाती। नई कृषि कानून के प्रति किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है। जानकारी के अभाव के कारण कुछ किसानों को गुमराह किया जा रहा है और उन्हें आगे कर कुछ राजनीतिक पार्टियां अपनी रोटी सेक कर रही है, जो बंद होना चाहिए।