logo

बेटी की लाश को सीट पर बेल्ट से बांधा और खुद कार चलाकर घर पहुंचा पिता

8942news.jpg
द फॉलोअप टीम, कोटा:

कोरोना की दूसरी लहर ने तबाही मचा दी। भले ही अब मरीजों की हालत में सुधार हो रहा हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का लचर सिस्टम जस का तस। कोटा से इसका एक और उदाहरण सामने आया है। प‍िता अपनी बेटी के शव को कार की अगली सीट पर रखकर घर पहुंचे। पूछने पर उन्होंने बताया है कि बेटी की मौत के बाद शव को  बाहर लाने के लिए वार्डबॉय पैसे मांग रहा था। मैंने नहीं दिए तो उसने शव को हाथ तक नहीं लगाया। अस्पताल के एम्बुलेंस शव को श्मशान तक ले जाने के लिए मनमाना भाड़ा ले रहे है। 

गंभीर मरीज को सामान्य वार्ड में किया शिफ्ट
पीड़ित व्यक्ति मधुराजा ने बताया कि उनकी 34 वर्षीय भांजी सीमा  कोरोना पॉजिटिव थी। उसे 24 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती किया गया। सीमा को हाई फ्लो ऑक्सीजन में आइसीयू में रखा गया। फिर तीन दिन पहले सामान्य वार्ड में शिफ्ट करने को कहा। परिजन डॉक्टर के पास गिड़गिड़ाते रहे, मिन्नतें करते रहे कि इसे हाई फ्लो ऑक्सीजन की जरूरत है और आईसीयू में ही रहने दो, लेकिन डॉक्टर ने कुछ नही सुना। कहा कि दूसरे गंभीर मरीज को शिफ्ट करना है। आईसीयू बेड खाली करना पड़ेगा। जबकि सामान्य वार्ड में ऑक्सीजन सप्लाई सही नहीं थी। सीमा की तबीयत बिगड़ती गयी और रविवार को मौत हो गई।

घर तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस ने मांगे पैसे
सीमा के मामा ने बताया क‍ि अस्पताल में हर आदमी को  पैसे देने पड़ रहे हैं। शव को वार्ड से बाहर लाने के लिए भी वार्ड बॉय ने 1 हजार रुपए मांगे। सीमा के पिता ने कंधे पर शव रखकर गाड़ी तक पहुंचाया। वहां एम्बुलेंस चालक से झालावाड़ शव ले जाने के लिए कहा तो उसने 35 हजार किराया बताया। पिता ने खुद ही अपनी बेटी को ड्राइविंग सीट की बगल में बैठाया सीट बेल्ट बांधी और खुद से ही शव को घर ले गए।