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रिम्स के इतिहास में पहली बार माननीय के लिए खरीदी जाएगी गाड़ी, प्रस्ताव पर खुद स्वास्थ्य मंत्री लगाएंगे मुहर

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द फॉलोअप टीम, रांची 
रिम्स के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा कि झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री के लिए गाड़ी खरीदी जाएगी। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता स्वयं रिम्स की गवर्निंग बॉडी (जीबी) के अध्यक्ष होने की हैसियत से इस प्रस्ताव पर 14 अक्टूबर को मुहर लगायेंगे। अभी वह सरकार की ओर से दी गई गाड़ी से ही चलते हैं। फिर रिम्स प्रबंधन उनके लिए अलग से एक और गाड़ी क्यों खरीदना चाहता है, ये अहम सवाल है।  

सरकारी गाड़ी खरीदे जाने का प्रस्ताव है
सूत्र बताते हैं कि कैबिनेट की होनेवाली बैठक में मंत्रियों के लिए नयी गाड़ी खरीदने का प्रस्ताव भेजा जा चुका है। कैबिनेट की मुहर के बाद सभी मंत्रियों को नयी गाड़ी मुहैया करा दी जायेगी। ऐसे में रिम्स प्रबंधन जब खुद संसाधनों के अभाव से घिरा हुआ है और उनके ही संस्थान की कई गाड़ियां मेंटेनेंस के अभाव में खराब पड़ी हैं, उन्हें दुरुस्त कराने के बजाय रिम्स प्रबंधन बजट का खर्च स्वास्थ्य मंत्री की गाड़ी खरीदने पर करना चाह रहा है। आखिर इस सवाल का जवाब कौन देगा?

ये अच्छी बात नहीं
अगर ऐसा है तो मंत्री जी दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेजों से भी अपने लिए गाड़ी खरीदवा सकते हैं। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में जरूरी संसाधन-उपकरण के अभाव में वहां के हालात क्या हैं, ये जनता या सरकार को बेहतर पता है। कोरोना काल में जब वेंटिलेटर पर्याप्त मात्रा में नहीं है, फिर रिम्स की हालत कब अच्छी रही है, क्या ये मंत्री जी पता नहीं हैँ? रिम्स ट्रॉली-व्हील चेयर आदि छोटी-छोटी जरूरतों का मोहताज है। मरीज के परिजन इसके लिए अक्सर परेशान नजर आते हैं। 

रखरखाव के अभाव में बेकार पड़ी है गाड़ियां
उल्लेखनीय है कि रिम्स परिसर में 20 से 25 लाख की गाड़ियां सिर्फ रखरखाव के अभाव में बेकार पड़ी हुई हैं। अब तो कई गाड़ियां कंडम भी हो चुकी हैं। ये सवाल अब भी गौण है कि ऐसी गाड़ियों को समय रहते क्यों नहीं बनवाया गया? ये सवाल तो स्वयं स्वास्थ्य मंत्री को रिम्स प्रबंधन से करना चाहिए था। वर्षों से मैन पावर की कमी से रिम्स बेहाल है। नियुक्तियां होती हैं तो उसमें भी विवाद हो जाता है। सच कहा जाए तो रिम्स को संवारने की जगह अपना चेहरा चमकाने से रिम्स की चरमरायी व्यवस्था में कभी सुधार संभव नहीं है।