द फॉलोअप टीम, डेस्क:
धनबाद के एडीजे उत्तम आनंद हत्याकांड केस में अब एक नया मोड़ आ गया है। सीबीआई ने घटना के 83 दिन के जांच-पड़ताल के बाद आखिरकार विशेष अदालत यानी हाई कोर्ट में चार्टशीट दाखिल कर दिया है।बता दें कि ऑटो चालक लखन वर्मा और राहुल वर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या का दोषी), धारा 201 (अपराध के साक्ष्य को छुपाने का आरोप) तथा धारा 34 (सामान्य उद्देश्य के लिए किये गए। अपराध में शामिल सभी लोगों के लिए सजा) के तहत सीबीआई ने हाई कोर्ट में चार्टशीट दाखिल कर दी है।
बीते 28 जुलाई को धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर जज उत्तम आनंद की मर्डर मिस्ट्री से अब तक पर्दा नहीं उठ पाया है। जानकारी के मुताबिक जज उत्तम आनंद 28 जुलाई को हर दिन की तरह हीं सुबह 5 बजे मॉर्निंग वॉक पर निकले थे। टहलने के दौरान पीछे से तेज रफ़्तार में आयी ऑटो ने उन्हें धक्का मारा, जिससे घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गयी। सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच कर रही सीबीआई हत्या की आशंका से ही इस हत्याकांड की जांच कर रही है। हत्या का शक गहराने के पीछे की एक मुख्य वजह यह भी है कि जिस ऑटो के धक्का लगने से जज उत्तम आनंद की मौके पर ही मौत हुई थी, उस ऑटो की चोरी भी उस घटना की रात ही हो गयी।
इस हाई प्रोफाइल मर्डर के दूसरे दिन यानी 29 जुलाई को धनबाद पुलिस ने ऑटो सहित लखन वर्मा और राहुल वर्मा को पकड़ कर 5 दिन के लिए रिमांड पर भेज दिया। इधर जज उत्तम आनंद की हत्याकांड के बाद राज्य के सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने शुरू हो गए थे. चौतरफा दवाब बनता देख सरकार ने भी त्वरित कार्यवाई करते हुए इस मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी।
30 जुलाई को सरकार द्वारा गठित एसआईटी की टीम धनबाद पहुंच कर छानबीन शुरू करती है। बता दें कि एसआईटी के गठन से पहले इस मामले की जांच कर रही धनबाद पुलिस को इस केस के संबंध में कोई अहम सुराग नहीं मिलता है।
31 जुलाई यानी हत्या के तीसरे दिन, एक तरफ जहां ऑटो मालिक ने पुलिस के सामने सरेंडर किया तो वहीं दूसरी तरफ खुद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट को इस केस की मॉनिटरिंग का निर्देश दिया।
अख़बारों के फ्रंट पेज, और टेलीविज़न पर इस मामले में हर रोज बनती सुर्खियों ने निःसंदेह प्रशासन पर दवाब बनाया, उधर विपक्ष भी सरकार पर राज्य के सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार पर लगातार हमलावर ही रही। सरकार और प्रशासन दोनों सख्ते में आई और जाँच की तेज रफ़्तार की आंच में 1 अगस्त को ऑटो चोरी की देर से एफआईआर दर्ज करने के आरोप में, पाथरडीह थाना प्रभारी व घटना का विडिओ वाइरल करने के आरोप में प्रशिक्षु दरोगा को सस्पेंड कर दिया गया।
खैर इन सब के बीच झारखण्ड सरकार की सिफारिश पर, माननीय उच्च न्यायलय सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की जाँच का जिम्मा सीबीआई को सौप दिया। 3 अगस्त को यानी जज उत्तम आनंद हत्याकांड के 7वें दिन झारखण्ड हाई कोर्ट ने सीबीआई को केस दर्ज करने का आदेश दे दिया। झारखण्ड हाई कोर्ट के आदेश मिलते हीं सीबीआई ने जज उत्तम आनंद हत्याकांड ममले में तफ्तीश शुरू कर दी।
सीबीआई के 76 दिनों तक अनवरत चले इस जांच में अपराधियों की ब्रेन मैपिंग, नार्को, पॉलीग्राफी, वाइरस एनालिसिस, कर सीबीआई साक्षय जुटाने में लगी रही। पर सीबीआई किसी भी निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई. बहरहाल इस बीच हाई कोर्ट सीबीआई से लगातार प्रगति रिपोर्ट भी लेते रही, साथ ही जरूरी निर्देश भी दे रही था। सीबीआई द्वारा प्रगति रिपोर्ट सौपने पर हाई कोर्ट ने सीबीआई को कई बार फटकार भी लगाई, क्यूंकि लगातार जांच के बाद भी सीबीआई इस बात का पता लगाने में असफल ही रही थी कि आखिर जज उत्तम आनंद की साजिशन हत्या हुई है या फिर ऑटो से धक्का लगने के कारण उनकी मौत हुई है। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश देते हुए कहा था कि ये पहला मामला है जब एक ऑटो रिक्शा को किसी की मौत के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया हो।
गौरतलब है कि सीबीआई ने इस हत्यकांड की तफ्तीश का दायरा बढ़ते हुए उन सभी केस की जांच भी की, जिसकी सुनवाई जज उत्तम आनंद कर रहे थे. इस सिलसिले में करीब हज़ारों लोगों का सीबीआई ने बयान दर्ज किया, गौरतलब है कि इस मामले की तह तक पहुचने के लिए सीबीआई की करीब 10 टीमें अलग-अलग जगहों पर पूछताछ भी कर रही थी।
बहरहाल अब, घटना के कुल 83 दिन बाद आखिकार सीबीआई ने हाई कोर्ट में ऑटो चालक लखन वर्मा और राहुल वर्मा के खिलाफ धारा 302, धारा 201 और धारा 34 के तहत चार्टशीट दाखिल कर दी है. अब देखना ये होगा की सीबीआई द्वारा चार्टशीट दाखिल करने के बाद भी क्या अब हाई प्रोफाइल जज उत्तम आनंद हत्याकांड केस से पर्दा उठता है या नहीं।