द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
आजाद भारत के इतिहास में ये पहली बार हुआ है जब दो राज्यों की पुलिस आपस में भिड़ गई हो। भिड़ी भी ऐसी कि फायरिंग हो गई। मिजोरम पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में असम पुलिस के 6 जवानों की मौत हो गई। मामला असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद से जुड़ा है। असम के कछार जिले और मिजोरम के कोलासिब जिला के बीच लैलापुर गांव में सीमा विवाद को लेकर ये हिंसक झड़प हुई थी जिसमें स्थानीय लोग भी शामिल हो गए थे।
रविवार को दोनों राज्यों की पुलिस मे हिंसक झड़प
मामला बीते रविवार का है। इस दिन केवल दो राज्यों की पुलिस ही नहीं भिड़ी बल्कि दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच ट्विटर पर खुल्लम-खुल्ला वाकयुद्ध भी हुआ। रविवार सुबह से ही मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा के बीच ट्विटर वार जारी था। लोग समझने की कोशिश करते कि माजरा क्या है, इसी बीच खबर आई कि कछार औऱ कोलासिब जिले की सीमा पर मिजोरम और असम पुलिस के जवानों के बीच फायरिंग हो गई जिसमें असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई। मामला काफी संगीन था, इसलिए चर्चा भी खूब हुई।
मुख्यमंत्रियों के बीच ट्विटर पर दिखा ट्विटर वार
फायरिंग की घटना के बाद दोनों राज्यों के बीच तनाव इतना गहरा गया कि मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मामले में दखल देने की अपील करनी पड़ी। दिलचस्प बात ये है कि इस घटना से ठीक एक दिन पहले यानी बीते शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह ने मेघालय की राजधानी शिलांग में पूर्वोत्तर भारत के सभी सात राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बैठक की थी। विश्लेषकों का कहना है कि इस मीटिंग में राज्यों के बीच सीमा विवाद को लेकर भी बात हुई ही होगी। गृहमंत्री की बैठक के ठीक एक दिन बाद दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद में फायरिंग काफी अप्रत्याशित बात थी।
आखिर क्यों मिजोरम और असम की पुलिस भिड़ गई
सवाल ये है कि ये पूरा विवाद क्यों हुआ। कब दोनों राज्यों की पुलिस आपस में भिड़ गई। इसको मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा के बयान से समझने की कोशिश करते हैं। उन्होंने बताया कि रविवार को दिन के तकरीबन साढ़े 11 बजे कछार जिले के वैरंगते ऑटो रिक्शा स्टैंड के पास बने सीआरपीएफ पोस्ट के पास असम पुलिस के 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी पहुंचे। उन्होंने मिजोरम पुलिस और स्थानीय लोगों पर बल प्रयोग किया। असम पुलिस द्वारा किए गए बलप्रयोग को देख वहां स्थानीय लोग जमा हो गए। ऐसे में असम पुलिस के जवानों ने लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोल दागे जिससे कई लोग घायल हो गए। ये पूरा विवाद कछार और कोलिसिब जिले के बीच हो रहा था।
मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने क्या कहा
जोरामथांगा ने आगे बताया कि कोलासिब जिले के पुलिस अधीक्षक ने उन लोगों को समझाने की कोशिश की, पर इस दरम्यान असम पुलिस के जवानों ने ग्रेनेड फेंके और हमला किया। आखिरकार कोई उपाय ना देख मिजोरम पुलिस ने शाम 4 बजकर 50 मिनट पर जवाबी फायरिंग की। जोरामथांगा ने बताया कि असम पुलिस और मिजोरम पुलिस के बीच उस समय हिंसक झड़प हो गई जब कोलासिब के पुलिस अधीक्षक असम पुलिस के अधिकारियों को समझाने का प्रयास कर रहे थे। जोरामथांगा के इस बयान से हेमंत बिस्वा सरमा का बयान भी मेल खाता है। ये सारा मिजोरम सरकार का पक्ष था। असम का पूरे मामले पर क्या कहना है, आपको बताते हैं।
असम के मुख्यमंत्री ने मिजोरम पर लगाया ये आरोप
इस पूरे मामले को लेकर असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई जब यथास्थिति का उल्लंघन करते हुए लैलापुर गांव के पास असम के इलाके में मिजोरम सरकार द्वारा सड़क बनाई जा रही थी। इसी सिलसिले में असम पुलिस के आईजी, डीआईजी और पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी वहां गए थे। वे स्थानीय लोगों और पुलिस के अधिकारियों को समझाने का प्रयास कर रहे थे कि यथास्थिति को बहाल रखा जाए। पुलिस अधिकारी उन्हें समझा रहे थे तभी मिजोरम के स्थानीय लोग भड़क गए और असम पुलिस के अधिकारियों पर पत्थरों से हमला कर दिया।
हेमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया है कि मिजोरम पुलिस भी उनका साथ दे रही थी। बकौल हेमंत बिस्वा सरमा, कोलासिब के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि भीड़ पर उनका नियंत्रण नहीं है। उन्होंने कहा कि ये बातचीत चल ही रही थी कि तभी मिजोरम पुलिस के जवानों ने फायरिंग कर दी जिसमें असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि घटना में कछार जिले के पुलिस अधीक्षक सहित कुल 50 लोग घायल हो गए। अब आगे समझेंगे कि पूरा विवाद क्या है। क्यों ये झड़प हुई।
ऐतिहासिक है असम और मिजोरम के बीच विवाद
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद ऐतिहासिक है। ये सीमा विवाद औपनिवेशिक काल से ही रहा है। मिजोरम साल 1972 तक असम का ही हिस्सा था। ये लुशाई हिल्स नाम से असम का जिला हुआ करता था जिसका मुख्यालय आईजोल था। ऐसा कहा जाता है कि असम-मिजोरम के बीच ये विवाद 1875 की एक अधिसूचना से उपजा जो लुशाई पहाड़ियों को कछार के मैदानी इलाकों से अलग करता है। इस बंटवारे में ही विवाद की जड़ें छिपी हैं।
पहले असम का ही हिस्सा हुआ करता था मिजोरम भी
गौरतलब है कि पहले मिजोरम असम के साथ ही था। मिजो आबादी औऱ लुशाई हिल्स का क्षेत्र निश्चित था। ये क्षेत्र 1875 में चिह्नित किया गया। मिजोरम की राज्य सरकार इसी के मुताबिक अपनी सीमा का दावा करती है लेकिन असम की सरकार ये नहीं मानती है। असम सरकार 1933 में चिह्नित की गई सीमा के मुताबिक अपना दावा करती है। दोनों के माप में काफी अंतर है। इन दोनों माप के अंतर के साथ-साथ विवाद की असली जड़ एक दूसरे पर ओवरलैप करता हुआ हिस्सा है जिस पर दोनों ही सरकारें अपना-अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं है।
इन दो अधिसूचनाओं में छिपा है दोनों राज्यों का सीमा विवाद
गौरतलब है कि 1875 का नोटिफिकेशन बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्युलेशन एक्ट 1873 के तहत आया था जबकि 1933 का नोटिफिकेशन जब आया तो मिजो समुदाय के लोगों से सलाह मशविरा नहीं किया गया। ये समुदाय नोटिफिकेशन का विरोध करता है। असम और मिजोरम के बीच 165 किमी लंबी सीमा है। जिसमें मिजोरम के तीन जिले आईजोल, कोलासिब और ममित आते है। इस सीमा के अंतर्गत असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांदी जिले आते हैं। पिछले साल अक्टूबर में असम के कछार जिले के लैलापुर गांव के लोगों औऱ मिजोरम के कोलासिब जिले के वैरेंगते के पास स्थानीय लोगों के बीच इसी सीमा विवाद मे झड़प हुआ था जिसमें 8लोग घायल हो गए थे।
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद पर एक्सपर्ट्स की राय
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मूल झगड़ा जमीन का है। आबादी का जमीन पर पड़ने वाला दवाब भी वजह है। आबादी बढ़ रही है तो लोगों को मकान, स्कूल, अस्पताल चाहिए और इसके लिए जमीन चाहिए। यही वजह है कि दोनों राज्य एक दूसरे पर जमीन अतिक्रमण का आरोप लगाते हैं। इसमें से कौन सच बोलता है औरर कौन झूठ, से साफ नहीं है।