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स्मृति शेष: एक प्रतिबद्ध विदुषी गेल ओम्वेट को अंतिम जोहार

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अरुण नारायण, पटना:

गेल ओम्वेट आज दिवंगत हो गईं। हमारा कोई विधिवत परिचय उनसे नहीं रहा। न उनके संपूर्ण लेखन के स्तर पर न ही प्रत्यक्ष रूप में कभी सुनने मिलने के स्तर पर,लेकिन  हिन्दी में अनूदित उनकी तीन-चार किताबें हमने जरूर पढ़ीं। और छिटपुट रूप से फारवर्ड प्रेस के माध्यम से उन्हें थोड़ा-बहुत जाना! इन सब के आधार पर उनके बारे में एक बहुत ही सम्मान का भाव पनपा। आज उनके निधन की खबर ने इतना आहत किया कि मैं अंदर से हिल गया। 2 अगस्त 1941 को अमेरिका के मिनीपोलिस-मिनेसोटा शहर में जन्मी सुश्री गेल ओम्वेट ने कैलिफोर्निया के बर्कले विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। इसी क्रम में वे भारत आईं और यहीं की होकर रह गईं।  अमेरिका का त्याग कर उन्होंने भारत की नागरिकता ली। कुछ -कुछ मेरी टेलर की तरह जिन्होंने मोहित राय को अपना जीवन संगी चुना और नक्सली आंदोलन को जानने की जिज्ञासा में खुद नक्सल होने के आरोप में कैद कर ली गईं और बाहर आईं तो भारतीय जेलों में पांच साल सरीखी पुस्तक लिखी। ओम्वेट के जीवन में इस तरह की त्रासदी नहीं आई इसलिए उनसे विपुल लेखन कार्य संभव हो पाया।  अपनी एम.डी.की पढ़ाई छोड़ सामाजिक कार्य करने वाले डॉ. भरत पाटणकर से उन्होंने 1978 में प्रेम विवाह किया। गेल ओमवेट हमेशा के लिए भारतीय होकर रहीं। लेकिन उनका भारतीय होना आज के राष्ट्रवादी होना नहीं रहा। उन्होंने अपनी भारतीयता बौद्ध धर्म दर्शन, फुलेवाद और आंबेडकरवाद में तलाशी और अपना पूरा जीवन इस वैचारिकी की तलाश में होम किया। 

 

उनकी कुछ प्रमुख किताबें बेहद चर्चित रहीं
1. Cultural Revolt in a Colonial Society: The NonBrahman Movement in Maharashtra, 2. We Shall Smash This Prison: Indian Women in Struggle (1979), 3. We Will Smash This Prison!.: Indian Women in Struggle, 4. Violence Against Women: New Movements And New Theories In India, 5. Reinventing Revolution: New Social Movements in India. 6. Gender and Technology: Emerging Asian Visions, 7. Dalits And The Democratic Revolution: Dr. Ambedkar And The Dalit Movement In Colonial India (Sage India, 1994), 8. Dalit Visions: the Anticaste movement and Indian Cultural Identity, 9. Growing Up Untouchable: A Dalit Autobiography, 10. Buddhism in India : Challenging Brahmanism and Caste, 11. Ambedkar: Towards an Enlightened India, 12. Seeking Begumpura: The Social Vision of Anticaste Intellectuals, 13. Understanding Caste: From Buddha To Ambedkar And Beyond, 14. Songs of Tukoba with Bharat Patankar, 15. Jotirao Phule and the Ideology of Social Revolution in India.

 

जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म

गेल ओम्वेट के लिए इस वैचारिकी का चयन स्टेटस सिंबल या फाइव स्टार रेस्तरां में शराबखोरी करने की बौद्धिक जुगाली का सबब नहीं रहा अपितु वर्ण व्यवस्था जनित दंश से भारत के करोड़ों लोगों के निकलने की कोशिशों के नाम होम रहा। यह अकारण नहीं कि उन्होंने दर्जनों विश्वविद्यालयों और पीठों में काम करते हुए भी अपने को दलित, महिला, आदिवासी और बहुजन आंदोलनों से नाभिनाल रखा। उन्होंने एकेडमिक्स की दुनिया में अपने शोध और निष्कर्षों के माध्यम से अकूत शोहरत पाई लेकिन सादगी इतनी कि महाराष्ट्र के कांसे के जिस मुहल्ले में रहतीं थीं, वहां भी आम नागरिक समाज की नागरिक बनकर रहीं। खबर है कि मशहूर डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर सोमनाथ वाघमारे गेल ओमवेट के जीवन पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का भी निर्माण कर रहे हैं। उनकी बेटी प्राची पाटणकर संप्रति अमेरिका में रहती हैं। गेल आम्वेट की स्मृति में शाम में फेसबुक और यूट्यूब पर ऑनलाइन गोष्‍ठी में होंगेओम्वेट के साथ काम कर चुकीं विभूति पटेल, लता पीएम, छाया खोब्रागडे और टिप्पणीकार प्रेमकुमार मणि ने बात रखी।

 

(लेखक अरुण नारायण पटना में रहते हैं। कई किताबें प्रकाशित।)

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।