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बंद हुआ मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र, हेमंत सरकार ने माइका से तोड़ा करार, रघुवर दास ने 2015 में शुरू की थी सेवा

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द फॉलोअप टीम
झारखंड सरकार ने माइका का अनुबंध रद्द कर दिया है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इस संबंध में आदेश निर्गत किया है। बताया जा रहा है कि हेमंत सरकार ने काफी पहले ही कंपनी से करार तोड़ने का मन बना लिया था। रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान रांची के सूचना भवन में जनसंवाद केन्द्र का संचालन यही कंपनी करती थी। कोरोना के समय से जनसंवाद केन्द्र को कोविड कंट्रोल रूम बदल दिया गया था। तब से ये कंपनी कोविड कंट्रोल रूम का संचालन कर रही थी। इस कंपनी में फिलहाल 140 लोग काम कर रहे थे। बताया जा रहा है कि सरकार बदलने के बाद इन कर्मचारियों के वेतन में भी दिक्कतें आ रही थी। 
हमने खुद किया था आग्रह-माइका
सरकार के आदेश के बाद द फॉलोअप ने जब माइका कंपनी के डायरेक्टर संजय जैन से इस करार को तोड़े जाने को लेकर पूछा तो उन्होंने अनुबंध टूटने की पुष्टि करते हुए कहा कि हमलोगों ने खुद भी सरकार से इसके लिए आग्रह किया था। ये पूछे जाने पर कि अब 140 लोगों का क्या होगा, इसके जवाब में कंपनी के डायरेक्टर ने कहा कि सभी को इधर-उधर एडजस्ट करने की कोशिश की जाएगी। 
2015 में हुई थी शुरुआत
आपको बता दें कि मई, 2015 से जनसंवाद केंद्र की सेवा तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के समय में शुरू की गयी थी। खुद रघुवर दास ने 181 पर फ़ोन कर इसका औपचारिक उद्घाटन किया था। राज्यभर से कोई भी इस नंबर पर फ़ोन करके अपनी शिकायत दर्ज कराता था। महीने में एक बार सीएम खुद इसकी समीक्षा करते थे और आवश्यक कार्रवाई का निर्देश देते थे। लोग इसकी वेबसाइट के जरिये या सूचना भवन जनसंवाद केंद्र आकर शिकायत दर्ज कराते थे। यहां प्राप्त शिकायतों के आधार पर उसे संबंधित विभाग के पास भेजा जाता था। 
1 करोड़ महीना होता था खर्च
जनसंवाद केंद्र के संचालन के लिए माइका को प्रतिमाह लगभग 1 करोड़ का भुगतान किया जाता था। यानी जनसंवाद केन्द्र के संचालन पर हर साल 12 करोड़ रुपये खर्च होता था। जनसंवाद केंद्र चलानेवाली एजेंसी माइका के अनुसार उसके पास अब तक 5 लाख के आसपास शिकायत आए थे। इनमें से साढ़े 3 लाख के आसपास शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है। अब करार रद्द हो जाने के बाद बड़ा सवाल ये है कि बाकी मामलों का क्या होगा ?