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1 ही महीने में अपने स्वास्थ्य मंत्री के बयान से पलटी हेमंत सरकार, कहा- ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी की वजह से कितने लोगों की मौत हुई है। केंद्र और राज्य सरकारों का जवाब काफी उलझा हुआ मिलता है। उनका जवाब कुछ ऐसा ही है जैसे कि भूतों और एलियन के अस्तित्व को लेकर होता है। आशय ये है कि जिसने देखा वो मानता है कि भूत या एलियन होते हैं और जिसने नहीं देखा वो नहीं मानता। वैसे ही, सरकारी आंकड़े तो नहीं मानते कि कोरोना की पहली या दूसरी लहर में किसी नागरिक की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई है लेकिन ऑक्सीजन की कमी से तड़पते लोग, ऑक्सीजन रिफिलिंग सेंटर्स के बाहर कतार में कातर खड़े मरीजों के परिजन और सोशल मीडिया में तैरते मदद वाले ट्वीट और पोस्ट इस बात की तस्दीक करते हैं कि लोग ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरे हैं। पर, गणतंत्र में तो कागज की ही मानी जाएगी। 

विधायक अमर बाउरी ने सदन में पूछा था सवाल
ऑक्सीजन की कमी से कितने नागरिकों की जान गई या फिर किसी भी मरीज की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं हुई, ये बहस फिर छिड़ गया है। मामला झारखंड विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल से जुड़ा है जहां ऑक्सीजन की कमी से मौत का मामला उठा। दरअसल, चंदनकियारी सीट से बीजेपी विधायक अमर बाउरी ने पूछा कि क्या ये बात सही है कि राज्य में कोरोना महामारी की शुरुआत से लेकर अभी तक 5 हजार 131 मरीजों की मौत हुई है। सरकार ने जवाब में कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में राज्य में 5 हजार 132 मरीजों की मौत हो गई। अमर बाउरी का दूसरा प्रश्न था कि क्या ये सही है कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी की वजह से मरीजों की जान गई है। जवाब में सरकार ने कहा कि राज्य में किसी भी नागरिक की जान ऑक्सीजन की कमी की वजह से नहीं गई है। अमर बाउरी का तीसरा प्रश्न था कि क्या राज्य सरकार सभी सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का विचार कर रही है। सरकार की तरफ से जवाब आया कि पीएम केयर फंड से कुल 38 स्वास्थ्य संस्थानों और सीएसआर यानी स्टेट रिसोर्स फंड से कुल 34 स्वास्थ्य संस्थानों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का काम किया जा रहा है। सरकार ने कहा कि सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि निर्माण कार्य 15 सितंबर तक पूरा कर लिया जाये। सरकार ने ये भी बताया कि गैर सरकारी संस्थानों में कुल 16 ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा चुका है। ये तो था सरकार की जवाब, अब आगे खबर में विरोधाभासों पर बात करेंगे। 

केंद्र ने कहा था ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई मौत
गौरतलब है कि कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से मौत का मामला पहली बार जुलाई में उठा था। संसद के मानसून सत्र के दौरान इस बाबत पूछे गए एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने कहा था कि देश में ऑक्सीजन की कमी की वजह से किसी भी मरीज की मौत नहीं हुई है। जैसे ही सरकार का ये बयान आया, हंगामा मच गया। लोग और विपक्षी पार्टियां दोनों ने ही ये सवाल उठाया। कहा कि तस्वीरें क्या झूठ बोलती है। ऐसे में केंद्र सरकार ने जवाब दिया। कहा कि कोरोना को लेकर जितने भी आंकड़े जारी किए जाते हैं वो केंद्र तैयार नहीं करती बल्कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च को जो आंकड़ा भेजा जाता है केंद्र उसी का संकलन करती है। केंद्र ने कहा कि किसी भी राज्य ने ये ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत की जानकारी नहीं दी है। 

जुलाई में बन्ना गुप्ता ने ऑक्सीजन से मौत का दावा किया
21 जुलाई 2021 को झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने मीडिया से बात की। दर्जनों मीडिया रिपोर्ट्स मौजूद हैं जिसमें बन्ना गुप्ता ने कहा कि झारखंड में ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई है। बन्ना गुप्ता ने दावा किया था कि ग्रामीण इलाकों के लिए उनको ऑक्सीजन मुहैया नहीं करवाया गया। सत्तापक्ष के नेताओं के कितने ही प्रेस कांफ्रेंस हैं जिसमें कहा गया कि केंद्र ने पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मुहैया नहीं करवाया जिसकी वजह से लोगों की जान गई। बन्ना गुप्ता ने ये भी कहा था कि कोरोना से हुई मौतों का हम ऑडिट करवा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों के लिए ऑक्सीजन नहीं दी गई। उन्होंने ये भी कहा कि देश के ज्यादातर हिस्सों में ऑक्सीजन की कमी की वजह से ही मौत हुई है। बन्ना गुप्ता ने ये भी कहा था कि इसके लिए प्रधानमंत्री ही एकमात्र जिम्मेदार हैं जबकि बलि का बकरा डॉ. हर्षवर्धन को बनाया गया। यहां बन्ना गुप्ता डॉ. हर्षवर्धन को स्वास्थ्य मंत्री के पद से हटाकर मनसुख मंडाविया को प्रभार दिए जाने का जिक्र कर रहे थे। अब बताइये। राज्य का स्वास्थ्य मंत्री ये कह चुका है कि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी से मौत हुई। जब सदन में लिखित जवाब आता है तो ऑक्सीजन की कमी से मौत को झुठला दिया गया। 

अपर सचिव (स्वास्थ्य) ने नकारा था कमी से मौत का मामला
जुलाई 2021 को झारखंड के अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) अरूण कुमार ने कहा था कि हमारे राज्य में ऑक्सीजन की कमी से मौत का मामला सामने नहीं आया है। राज्य की हेमंत सरकार की तरफ से अरुण कुमार ने हाकि ऑक्सीजन की सप्लाई हमने सुनिश्चित किया। ताकि किसी को भी अस्पताल को ऑक्सीजन की कमी महसूस हो तो तुरंत भेजा जाये। अरूण कुमार ने कहा कि संजीवनी वाहन भी स्टैंडबाय में ही रह गया। कोई खास उपयोग नहीं हुआ। ऑक्सीजन कबैंक को हॉस्पिटल्स ने प्रॉपर मैंटेन किया। ऑक्सीजन टास्क फोर्स ने भी सुचारू रूप से काम किया। हमारे यहां ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट है। हमें गर्व है कि हमने और 15 राज्यों को ऑक्सीजन की सप्लाई की। जनता फिर कन्फ्यूज हो गई कि किसकी मानें। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की या अपर सचिव (स्वास्थ्य) अरूण कुमार की। 

बोकारो में ऑक्सीजन की कमी से गई थी मरीज की जान
एक केस स्टडी भी देख लेते हैं। बोकारो जिला के चास अंतर्गत वंशीडीह स्थित पुरुलिया रोड में मौजूद मदर टेरेसा मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का मामला है। यहां गोमिया के 72 वर्षीय गोविंद प्रसाद जायसवाल को गंभीर अवस्था में परिजनों ने भर्ती करवाया। कुछ ही देर में मरीज की स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ गई। हॉस्पिटल स्टाफ और डॉक्टर्स ने बताया कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी नहीं है। किसी अन्य अस्पताल में ले जाएं। परिजन पूरी रात मरीज को लेकर इस अस्पताल से लेकर उस अस्पताल भटकते रहे लेकिन ऑक्सीजन नहीं मिला और मरीज की मौत हो गई। बनारस से भी एक मार्मिक तस्वीर सामने आई थी। यहां ऑटो में बैठी एक महिला पति को मुंह के जरिए ऑक्सीजन देने की कोशिश करती रही। ऑक्सीजन नहीं मिला और मरीज की मौत हो गई। सोशल मीडिया औऱ मीडिया में ऐसी सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो है जो ऑक्सीजन की कमी से मौत की तस्दीक करती है लेकिन सरकारें केवल कागज की मानती है। कागज भी उनका, आंकड़ा भी उनका और सत्ता भी उनकी। किसी की क्या मजाल।