द फॉलोअप टीम, रांचीः
कितने सालों से कहा जा रहा है कि राज्य में जल्द स्मार्ट मीटर लगाए जायेंगे। कब लगाये जाऐंगे यह तो भगवान ही जाने। 2017 से लेकर 2020 तक में स्मार्ट मीटर को लेकर कई गड़बड़ियां सामने आ गयी लेकिन मीटर नहीं लगा। 2017 से सरकार और झारखंड बिजली वितरण निगम इसके लिए केवल तत्परता ही दिखा रही है। 2020 में एक टेंडर जारी भी हुआ था जिसे बिजली वितरण निगम ने रद्द कर दिया। हालांकि, टेंडर रद्द करने तक निगम ने टेंडर का वित्तिय भाग खोल दिया था। टेंडर किन कारणों से रद्द किया गया यह किसी को नहीं मालूम।
रांची के लिए टेंडर फाइनल है
2020 में फिर से टेंडर की तैयारी कर ली गयी है। इस बार निगम ने रांची, देवघर, धनबाद और जमशेदपुर में स्मार्ट मीटर लगाने की बात की। अभी तक भी मामला टेंडर में ही रुका है, लेकिन निगम का कहना है कि रांची जिला के लिए टेंडर फाइनल है, बस फंड का इंतजार किया जा रहा है। रांची जिला में स्मार्ट मीटर के लिये 228 करोड़ रूपये की लागत तय की गयी है।
फंड बना रुकावट
जानकारी के मुताबिक निगम के उच्च अधिकारियों की ओर से रांची जिला का काम मेसर्स जिनक्स और मेसर्स सेक्योर नामक एजेंसी को देने की योजना थी। लेकिन विश्व बैंक की ने इस पर सहमति नहीं जताई जिसके बाद टेंडर रद्द किया गया। हालांकि फंड नहीं मिलना भी इसका एक कारण बताया जा रहा है।
2018 में उर्जा सचिव से की गई शिकायत
साल 2018 में टेंडर की शर्तों को लेकर उर्जा सचिव सह निगम के चेयरमैन से शिकायत की गयी थी. जिसमें बताया गया था कि निगम ने चुनिंदा एजेंसियों को लाभ पहुंचाने के लिये ऐसा किया है. शिकायत में आरोप लगाया गया था कि सीवीसी नियमों को ताक में रखकर निगम टेंडर कर रहा है. जिसके लिये एजेंसियों की वित्तिय क्षमता चार सौ करोड़ मांगी गयी थी. जबकि सीवीसी नियमों के अनुसार प्रोजेक्ट राशि का 40 फीसदी वित्तिय क्षमता एजेंसियों के पास होनी चाहिये।