द फॉलोअप टीम, रांची:
आशा थी कि बतौर होमगार्ड जवान झारखंड पुलिस में सेवा देंगे। झारखंड पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगे। राज्य और समाज के काम आ सकेंगे। नौकरी होगी तो परिवार की भी देखभाल कर सकेंगे लेकिन नहीं। धनबाद जिला के लिए चयनित 735 होमगार्ड जवान अभी भी नियुक्ति के इंतजार में हैं। नियुक्ति के बाद भी बेरोजगारी ने उनको बतौर डिलीवरी ब्वॉय तक काम करने को मजबूर किया है।
साल 2017 में ही जारी किया गया था विज्ञापन
धनबाद जिला पुलिस के लिए धनबाद गृहरक्षा वाहिनी द्वारा साल 2017 में होमगार्ड के 1056 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। सितंबर 2019 तक लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षण, मेडिकल और डॉक्युमेंट वैरिफिकेशन सहित चयन की सभी प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। अंतिम रूप से 735 अभ्यर्थियों का चयन किया गया। धनबाद होमगार्ड कार्यालय में चयनित अभ्यर्थियों की सूची भी चस्पा कर दी गई। इनको बुनियादी प्रशिक्षण के लिए भेजा जाना था लेकिन, अभी तक प्रशिक्षण की तिथि, समय या स्थान को कोई अता-पता नहीं है। अभ्यर्थियों का चयन कर उनको भुला दिया गया।
सितंबर 2019 में पूरी हो गई थी चयन की प्रक्रिया
विडंबना देखिए कि साल 2019 के सिंतबर माह में ही चयन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। ये जून 2021 है। बीते लगभग 2 वर्ष से अभ्यर्थी प्रशिक्षण और नियुक्ति के इंतजार में बैठे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। जब तक उनको बुनियादी प्रशिक्षण नहीं मिलता ये लोग ड्यूटी शुरू नहीं कर सकते। मामले को समझने के लिए द फॉलोअप ने चयनित अभ्यर्थियो में से एक विवेक कुमार दूबे से बातचीत की। बताया कि 2 साल से प्रशिक्षण के इंतजार में बैठे हैं। अपनी समस्या को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, झारखंड मुक्ति मोर्चा की विधायक सीता सोरेन, बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद, टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो, धनबाद उपायुक्त और डीजी होमगार्ड एमवी राव को पत्र लिखा। हर जगह से यही आश्वासन मिला कि सरकार इस दिशा में सकारात्मक पहल करेगी।
मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन धरना दिया था
इस मसले को लेकर होमगार्ड पद के लिए चयनित अभ्यर्थियों ने अक्टूबर 2020 में रांची के मोरहाबादी मैदान में अनिश्चितकालीन हड़ताल किया था। मांग वही थी कि हमें प्रशिक्षित किया जाये। विवेक बताते हैं कि उस वक्त बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश अभ्यर्थियों से मिलने आये थे। वादा किया था कि सरकार के सामने मामला उठाएंगे। यही नहीं, राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव ने लिखित आश्वासन दिया था कि पंद्रह दिन में सरकार कोई सकारात्मक पहल करेगी। इनका कहना है कि पंद्रह दिन बाद जब उनसे मुलाकात की तो पहल की बात छोड़िए, सकारात्मक जवाब तक नहीं मिला। सरकार कहती है कि पिछली सरकार की त्रुटियों की वजह से मुश्किल है।
होमगार्ड जवानों की कमी से जूझ रहा है धनबाद जिला
नव-चयनित अभ्यर्थी विवेक ने बताया कि इस वर्ष की शुरुआत में पहले से कार्यरत होमगार्ड जवानों ने 12 महीने की ड्यूटी की मांग को लेकर आंदोलन किया था। उनकी मांग मान ली गई। अब धनबाद में समस्या ये है कि ड्यूटी के लिए जवानों की कमी है। धनबाद के कमांडेंट ने दूसरे जिलों से जवानों को भेजने की अपील की है। सोचिए! ये कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक तरफ तो चयनित जवान प्रशिक्षण और नियुक्ति के इंतजार में बैठे हैं और दूसरी तरफ उसी जिले के लिए बाहरी जिलों से होमगार्ड मंगवाने की अपील की जा रही है। सरकार की ये नीति समझ से परे है।
नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया के बावजूद प्रशिक्षण नहीं मिला
विवेक ने बताया कि चयन प्रक्रिया के बाद उनका पुलिस सैलरी पैकेज अकाउंट खोला जा चुका है। उनका जो पीपीएफ खाता खोला गया था उससे प्रतिमाह 100 रुपया काट लिया जा रहा है लेकिन ट्रेनिंग और नियुक्ति के नाम पर चुप्पी साध ली जाती है। उन्होंने बताया कि चयनित अभ्यर्थियों में महिला और पुरूष दोनों हैं। वे सभी फिलहाल बेरोजगार हैं। आजीविका चलाने के लिए कोई टायरों में पंक्चर लगा रहा है तो कोई फुटपाथ पर दुकान खोलने को विवश है। महिला अभ्यर्थी घरेलु सहायिका के तौर पर काम करने को विवश हैं। उनकी हालत दयनीय हो चुकी है।
होमगार्ड पद के नव चयनित अभ्यर्थियों की क्या है मांग
धनबाद जिला में होमगार्ड के पद पर चयनित अभ्यर्थियों की एक ही मांग है कि उनको बुनियादी प्रशिक्षण दिया जाये ताकि उनकी अविलंब नियुक्ति हो सके। चयनित होने के बाद भी लंबे वक्त से खाली बैठने की वजह से अभ्यर्थी मानसिक रूप से तनाव का सामना कर रहे हैं। कई अभ्यर्थियों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है। अभ्यर्थियों ने अपनी मांग को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की है जिस पर फिलहाल सुनवाई नहीं की जा सकी है।