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कोरोना काल में मिसाल बना 'इंडिया यंग फाउंडेशन', पांच तरीकों से कर रहा कोरोना मरीजों की सहायता

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द फॉलोअप टीम, रांची: 
कोरोना संक्रमण काल में जरूरतमंद लोगों की सहायता करने में इंडिया यंग फाउंडेशन ने नई मिसाल कायम की है। इंडिया यंग फाउंडेशन की तरफ से रांची स्थिति होटवार जेल में कैदियों के बीच जीवन रक्षक दवाइयों का वितरण किया गया। संस्था ने जेल में 100 से भी ज्यादा कैदियों के बीच कोरोना राहत किट का वितरण किया। इस किट में , विटामिन की गोलियां और पैरासिटामॉल था। 

होटवार जेल में कैदियों को मिली दवाइयां
इंडिया यंग फाउंडेशन के इस प्रयास की होटवार जेल के जेलर मोहम्मद नसीम ने खूब तारीफ की। इंडिया यंग फाउंडेशन द्वारा किट वितरण कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष प्रतीक मोदी द्वारा किया गया। प्रतीक मोदी ने कहा कि कैदी भी समाज का हिस्सा हैं। उनकी सहायता करना हमारा फर्ज है। इंडिया यंग फाउंडेशन के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष प्रतीक मोदी ने बताया कि पांच तरीकों से कोरोना काल में लोगों की मदद की जा रही है। प्रत्येक स्टेज में एक खास कार्यक्रम है। 

पांच चरणों में कार्यक्रम कर रही संस्था
इंडिया यंग फाउंडेशन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आर्यन दुद्वानी ने बताया कि कार्यक्रम पांच चरणों में चलाया जा रहा है। इंडिया यंग फाउंडेशन ने प्रत्येक चरण को प्रकल्प का नाम दिया है। अलग-अलग प्रकल्प में अलग-अलग कार्यक्रम निर्धारित किया गया है जिसके आधार पर लोगों की सहायता की जाती है। चलिए! जानते हैं कि संस्था द्वारा किस प्रकल्प में कैसे सहायता की जाती है। 

कोविमील के जरिए निशुल्क भोजन सुविधा
संस्था का पहला प्रकल्प कोविमील है। कोविमील कार्यक्रम के जरिए कोरोना संक्रमित परिवारों को निशुल्क भोजना उपलब्ध करवाया जा रहा है। निशुल्क भोजन का वितरण, रिम्स और सदर अस्पताल रांची सहित होम आइसोलेशन में रहे रहे कोरोना संक्रमित परिवारों के बीच किया जा रहा है। लोगों को भोजन में 2 रोटी, चावल, सब्जी, दाल, आचार और सलाद दिया जाता है। पका हुआ भोजन लोगों को मुहैया कराया जाता है। कार्यकर्ता दोपहर और रात में होम डिलीवरी करते हैं। 

लोगों के लिए निशुल्क जीवन रक्षक दवाई
इंडिया यंग फाउंडेशन के दूसरे प्रकल्प यानी कार्यक्रम के तहत उन लोगों तक जीवन रक्षक दवाइयां पहुंचाई जाती है जो कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से दवाइयां नहीं खरीद सकते। जीवन रक्षक दवाइयां खरीद कर कोरोना संक्रमित मरीजों अथवा परिवारों तक निशुल्क पहुंचाई जाती है। संस्था के तीसरे प्रकल्प का उद्देश्य कांके में 50 ऑक्सिजन बेड तैयार करना है। 

मुफ्त ऑक्सिजन सिलेंडर की व्यवस्था भी है
इंडिया यंग फाउंडेशन द्वारा चौथे प्रकल्प में लोगों तक ऑक्सिजन सिलेंडर पहुंचाया जाता है। इसमें लोगों को भरा हुआ सिलेंडर मुहैया करवाया जाता है। उद्देश्य ये है कि ऑक्सिजन की कमी की वजह से किसी की जान नहीं जाये। ये सेवा बिलकुल निशुल्क है। जो लोग आर्थिक रूप से सशक्त हैं उनको 500 प्रति सिलेंडर के हिसाब ऑक्सिजन मुहैया करवाया जाता है। बाकियों के लिए निशुल्क है। 

मरीजों को दी जाती है ऑक्सिजन बेड की जानकारी
संस्था का पांचवां प्रकल्प कोरोना मरीजों को वास्तविक जानकारी देना है। किस समय किस अस्पताल में बेड खाली है। किस अस्पताल में ऑक्सिजन बेड मिल सकता है। संस्था ना केवल इस बात की जानकारी देती है बल्कि ऑक्सिजन बेड प्राप्त करने में सहायता भी करती है। ऐसा मरीजों का समुचित इलाज के लिए किया जाता है।  इन आयोजनों में रजनीश पांडेय, आदित्य किशोर, साची दुबे, अंकित छापारिआ, अश्मित सिंह, जय काबरा, राजीव थेरपा आदि का सहयोग है।