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इस्लामी स्कॉलर अब्दुल्लाह ने सरसंघचालक मोहन भागवत को भेजे पत्र में क्या लिखा जानिये

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
उत्तरप्रदेश का शहर रामपुर पहले वहां के नवाब, फिर सपा नेता आजम खान, सिने अभिनेत्री जयाप्रदा और इधर, प्रगतिशील व उदारवादी इस्लामी चितंक सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ के सबब भी दुनिया में मशहूर हो रहा है। ऑन लाइन और ऑफ लाइन उनके सेमिनार, मस्जिद के खुत्बे  आदि बहुत अधिक चर्चा में रहते हैं। उनके पसंदीदा विषय हैं, अखंड भारत और धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन। इस जुमा (शुक्रवार) को मस्जिद में दिया गया उनका वक्तव्य और एक पत्र भी चर्चा में है। उन्होंने सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत के एक वक्तव्य का समर्थन किया है। जानिये आखिर वो पत्र है, क्या और उसमें क्या दर्ज है।

आदरणीय सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जी 
महोदय सादर प्रणाम

मैं, सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ एक सामाजिक संस्था ‘वर्क’ (WORK or World Organisation of Religions & Knowledge) का अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष हूँ जिसका मुख्य कार्यालय रामपुर उप्र में है। हमारी संस्था देश भर में समाज सेवा तथा धार्मिक सौहार्द के लिये सक्रिय है।
25 फ़रवरी 2021 को हैदराबाद में आपका अखण्ड भारत विषयी बयान हमारे लिये सुखद आश्चर्य का कारण बना। आश्चर्य इस लिये कि हम आज तक यही समझते रहे थे कि आर एस एस अखण्ड भारत की बात तो करती है परन्तु इस विषय पर वह गंभीर कभी नहीं रही। आप की ओर से अखण्ड भारत का आह्वान, शायद पहली बार, हमें आप के हृदय की आवाज़ प्रतीत हुआ। उक्त बयान मात्र भारतीय जनता को सुनाने के लिये नहीं था बल्कि उन सभी देशों के लिये, सत्य पर आधारित, एक मैत्रीय आह्वान था जो गत 2 शताब्दियों के भीतर भारत से जुदा हुए।
हमें आप को सूचित करते हुए हर्ष है कि विदेश में वर्क के कुछ कार्यकर्त्ताओं सहित हमारी संस्था के सभी कार्यकर्त्ता न केवल आप के बयान का हृदय से स्वागत करते हैं अपितु इस संदर्भ में किसी भी प्रकार के व्यवहारिक क़दम  उठाए जाने की अवस्था में हम आप को सक्रिय सहयोग देने का वचन देते हैं।

आपके उक्त वक्तव्य के निम्न बिन्दु  सराहनीय हैं:
• जुदा होने वाले टूटने के बाद लाभ में नहीं रहे।
• एकीकरण बल द्वारा नहीं, वसुधैव कुटुम्बकम् के आधार पर होगा। 
• एकीकरण सनातन धर्म के सिद्धांतों पर होगा जो आज हिंदु धर्म कहलाता है।

हम आप के संज्ञान में लाना चाहते हैं कि: 
• 1987 में वर्क की स्थापना के समय से ही हम स्वयं को अलग-अलग धर्मों का पालन करने के साथ हिंदु घोषित करते हैं।
• हम सनातन धर्म के मूल धर्म ग्रंथों में आस्था रखते हैं।
• हमारा मानना है कि आदि में संपूर्ण विश्व, भारत था, बाद में कभी भरत-खण्ड की सीमाएं आज़रबाइजान से जापान तक थीं जिस में वर्तमान के 36 देश सम्मिलित थे। भरत-खण्ड का नक़्शा वर्षों से हमारे कार्यालय में लगा है ताकि सबको स्मरण रहे)। फिर और अधिक खण्डन प्रक्रिया के बाद आज के 10 देशों पर आधारित हिंदुस्तान रह गया। 260 वर्ष पूर्व वर्तमान के 3 देश इंडिया के नाम से बचे और 1947 में वह भी विभाजित होगया।
• इस्लामी ग्रंथों के अनुसार इस्लाम भारतीय मूल का धर्म है।
• सभी विश्व निवासियों के लिये वर्तमान भारत पुण्य भूमि होनी चाहिये क्योंकि मानवता यहाँ से शुरू हुई।
• सनातन धर्म और इस्लाम के धर्म ग्रंथों के अनुसार वर्तमान भारतीय उपमहाद्वीप को विश्व नरेश पद पर आसीन होना है।   
• हमारे कार्यकर्त्ता घरों और दुकानों पर फ़्लैक्स-बोर्ड लगवाते हैं जिस में हमारे चार नारे छपे होते हैं —
o हमारा पूज्य-एक परमेश्वर
o हमारी जाति-मानव परिवार
o हमारा गौरव-हिन्दुस्तान
o हमारा सपना-अखण्ड भारत 

हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि यदि कभी आवश्यकता पड़ी तो आप हमारे कार्यकर्त्ताओं को निःस्वार्थ एवं विश्वस्नीय पाएंगे।
शुभ कामनाओं सहित,
सैय्यद अब्दुल्लाह तारिक़

सूचनार्थ
1. श्री केशव गुप्ता, संचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, रामपुर उप्र
2. श्री धनंजय पाठक, राष्ट्रीय कार्यकारिणी, विश्व हिंदु परिषद, निवासी रामपुर उप्र

नोट: यह सैयद अब्दुल्लाह तारिक़ के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। सहमति के विवेक के साथ असहमति के साहस का भी हम सम्मान करते हैं।