द फॉलोअप टीम, हजारीबाग:
हजारीबाग जिले के बड़कागांव की आकांक्षा कुमारी भूमिगत खदान में काम करने वाली देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर बन गईं हैं। उन्होंने कोल इंडिया लिमिटेड में नया अध्याय शुरू किया है। झारखंड के लिए यह बेहद ही गौरव की बात है कि झारखंड की बेटी ने यह भ्रांति भी तोड़ दी है कि खनन क्षेत्र में सिर्फ पुरुष ही काम कर सकते है। आकांक्षा ने मंगलवार को कोल इंडिया की इकाई सीसीएल के नॉर्थ कर्णपुरा क्षेत्र की चूरी भूमिगत खदान में योगदान दिया।
कोल इंडिया की दूसरी महिला इंजीनियर
आकांक्षा कोल इंडिया में दूसरी और भूमिगत खदान में योगदान देने वाली पहली महिला माइनिंग इंजीनियर हैं। कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि आकांक्षा कुमारी की यह उपलब्धि दूसरी महिलाओं को प्रेरित करेगी। लैंगिक समानता को बढ़ावा देगी। आकांक्षा ने अपनी सफलता में कहा कि उनकी माता पिता को बहुत सपोर्ट मिला है। जब मैंने माइनिंग चुना तो उन्होंने मेरा सपोर्ट किया। कोल इंडिया में भूमिगत खदान की पहली माइनिंग इंजीनियर बनना सपना सच होने जैसा है। अब मेरा ध्येय यह है कि मैं अपना सर्वश्रेष्ठ दूं।
बचपन से ही थी खनन में दिलचस्पी
आकांक्षा के माता पिता ने बताया आकांक्षा ने बचपन से ही अपने आसपास कोयला खनन की गतिविधियां करीब से देखी हैं। इसलिए उसका झुकाव शुरू से इस क्षेत्र में था। आकांक्षा ने स्कूल की पढ़ाई नवोदय से की। 2018 में उन्होंने बीआईटी सिंदरी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 3 सालों तक हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की राजस्थान स्थित बलारिया खदान में काम किया। आकांक्षा की उपलब्धि पर सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद ने कहा कि आकांक्षा ने इस क्षेत्र में बाकी महिलाओं के लिए भी असीम संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं। महिलाएं इस क्षेत्र में पूरी ललक के साथ आगे आएंगी और कोयला क्षेत्र को रोशन करेंगी।