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झामुमो नेता पर झामुमो विधायक का ही आरोप, भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए दिये पैसे और मंत्रीपद का प्रलोभन 

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द फॉलोअप टीम, रांची : 
झारखंड में नई सरकार के गठन के दो साल भी पूरे नहीं हुए हैं और हर कुछ महीने में सरकार गिराने को लेकर बयानों और प्रयासों  का सिलसिला जारी है। कुछ दिनों पहले कांग्रेस विधायकों के खरीद फरोख्त का मामला सामने आया था। उस मामले में अभी तक जांच चल ही रही है, कि अब झामुमो के नेताओं के नाम भी होर्स ट्रेडिंग में सामने आने लगे हैं। घाटशिला से झामुमो के विधायक रामदास सोरेन ने अपनी ही पार्टी के नेता और पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल और अशोक अग्रवाल पर आरोप लगाया है कि दोनों ने उन्हें पैसे का प्रलोभन दिया है, ताकि वर्तमान राज्य सरकार को गिरा दिया जाए।

धुर्वा थाने में FIR दर्ज 
दैनिक भास्कर की एक खबर के अनुसार 12 अक्टूबर को रामदास सोरेन ने धुर्वा थाने में FIR दर्ज करायी है। रवि केजरीवाल और अशोक अग्रवाल पर भारतीय दंड विधान  की धारा 124 A, 171 E, 120 D, 34 और भ्ररष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 8 और 9 के तहत मामला दर्ज किया गया है। खबर के अनुसार हटिया एसपी वीनित कुमार को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। 

घर पर आकर दिया था पैसे का प्रलोभन 
रामदास सोरन का आरोप है कि रवि केजरीवाल और अशोक अग्रवाल उनके आवास पर आए थे। उन्होंने जेएमएम के कई नाताओं का नाम लिया और कहा कि वे पार्टी छोड़ रहे हैं। रामदास को पार्टी छोड़ने को कहा। योजना यह थी कि एक नयी पार्टी बनाकर वे भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाएंगे। इसके लिए रामदास को दोनों ने पैसे और मंत्रीपद का प्रलोभन दिया। यह भी कहा कि आपको कितने पैसे चाहिए बताइए। इसके अलावा कई बार उनसे फोन पर भी संपर्क किया गया है। 

मुझे कोई जानकारी नहीं : सुप्रीयो भट्टाचार्य 
ये तो थी FIR की बात। लेकिन अब इस मामले को लेकर राजनीतिक हलचल शुरू हो गयी है। अभी कई नेताओं के बयान आने बाकी है, लेकिन झामुमो की तरफ से इस मामले पर खामोशी है। पार्टी के महासचिव सुप्रीयो भट्टाचार्य ने कहा है कि उन्हे इस संबंध में कुछ भी जानकारी नहीं है। इसलिए वे कुछ कह नहीं सकते। इधर रामदास सोरेन ने इस मामले से जुड़ी जानकारी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दे दी है। 

रघुवार को छोड़ किसी ने नहीं पूरा किया है कार्यकाल 
यह सब उस राज्य में हो रहा है, जहां 21 सालों के इतिहास में रघुवर दास को छोड़कर किसी ने भी अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। सरकारों का बनना, गिरना यहां आम बात रही है। इस सरकार में जुलाई महीने में भी ऐसा ही एक और प्रयास किया गया था। जब रांची के एक होटल से तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था। तब कांग्रेस के नेताओं पर सुई अटकी थी। अब सुई झामुमो के नेताओं पर है। 

इन सवालों के मिलने है जवाब 
पर अभी कई सवालों के जवाब मिलने बाकी है। रवि केजरीवाल और अशोक अग्रवान ने प्रलोभन के देते हुए झामुमो के किन विधायकों का नाम लिया था?  पार्टी के कितने नेता नई पार्टी बना कर भजपा के साथ जाने को तैयार हैं? भाजपा की तरफ से कौन इनके संपर्क में है? अगर रामदास को उन नेताओं के बारे में पता है, तो जाहिर है कि उन्होंने मुख्यमंत्री को उनके नाम भी बताए हैं। ऐसे में हेमंत अब क्या कदम उठाएंगे। और इन सबसे ज्यादा बड़ा सवाल है कि आखिर किस ख्वाहिश में पहले कांग्रेस और अब झामुमो के विधायक पार्टी छोड़ कर जाने कौ तैयार हैं, उनकी पार्टी से क्या नाराजगी है? 


इन सभी बातों पर से पर्दा तब उठेगा, जब जांच की प्रकिया पूरी होगी। लेकिन जुलाई महीने में इतने बवाल के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हुआ और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। तो क्या आपको उम्मीद है कि इस मामले में कुछ हो सकेगा।