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दुमका के गांधी मैदान में खुलेआम होती है शराब की बिक्री, लगता है असामाजिक तत्वों का जमावड़ा

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द फॉलोअप टीम, दुमका: 

दुमका जिला इन दिनों गलत वजह से चर्चा में है। बता दें कि दुमका के गांधी मैदान में रोजाना शराब का बाजार सजता है। लोग यहां खुलेआम शराब बेचते हैं और शराब का सेवन भी करते हैं। पूरे गांधी मैदान और आस-पास के इलाकों में महिला और पुरुष शराब पीते और बेचते हैं। ऐसे वक्त में जब राज्य सरकार ग्रामीण आबादी को लघु और मध्यम उद्योग द्वारा स्वरोजगार से जोड़ने के दावे कर रही हो, वहां मुख्यमंत्री के ही गृह जिले और उपराजधानी दुमका में शराब की बिक्री दुर्भाग्यपूर्ण है। 

गांधी प्रतिमा के सामने भी शराब की बिक्री
विडंबना ये है कि ना केवल गांधी मैदान परिसर बल्कि गांधी प्रतिमा के सामने भी धड़ल्ले से शराब की बिक्री होती है। लोग वहीं बैठकर शराब पीते भी हैं। जब द फॉलोअप संवाददाता ने उन लोगों से वहां शराब बेचने का कारण पूछा तो उनका कहना था कि पापी पेट का सवाल है। सालों से उनकी आजीविका का यही साधन है। महिलाओं ने बताया कि वे लोग घर पर देशी शराब बनाती हैं और उसे हाट-बाजारों में बेचती है। इसे बेचकर जो पैसा मिलता है उसी से घर-परिवार का खर्चा चलता है। 

जन-कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नहीं
हैरानी की बात ये भी थी कि शराब बेच रही महिलाओं अथवा इस कारोबार में लगे पुरुषों को सरकार की जन-कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नहीं थी। जब उनसे सखी मंडल, जेएसएलपीएस सहित अन्य स्वरोजगार की योजनाओं के बाबत सवाल पूछा गया तो उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। जिन योजनाओं और उनके प्रचार-प्रसार पर सरकारें करोड़ों रुपया खर्च कर रही है वो धरातल तक पहुंच ही नहीं रहा। शराब ही आजीविका का साधन है। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था या सामाजिक स्थिति में सुधार कैसे आएगा, ये बड़ा सवाल है। इससे आसपास का माहौल भी खराब हो रहा है। 

लोकतांत्रिक तरीके से काम कर रही है सरकार
इस पूरे मसले पर सरकार की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के दुमका जिलाध्यक्ष अमरेंद्र यादव ने कहा कि निश्चित रूप से ये गंभीर मामला है। ये तो सामाजिक न्याय की सरकार है। सरकार लोकतांत्रिक तरीके से काम भी कर रही है। जो महिलायें गरीब हैं वो हड़िया बेचती हैं। इनको समाज की मुख्यधारा से जोड़ना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अमरेंद्र यादव ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि इस दिशा में जरूरी पहल करें। जिला प्रशासन भी मामले को संज्ञान में ले।