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5 नए मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर-एसोसिएट प्रोफेसर के कई पद खाली, वेतन को लेकर स्वास्थ्य औऱ वित्त विभाग में ठनी

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द फॉलोअप टीम, रांची: 


झारखंड में पांच नए मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने वाले छात्रों के ड़ॉक्टर बनने का सपना कहीं टूट ना जाए। इन कॉलेजों में प्रोफेसर्स और एसोसिएट प्रोफेसर की भारी कमी है। गौरतलब है कि इन कॉलेजों में कुल 137 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 101 पद खाली हैं। एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कुल 171 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 81 खाली हैं। कुछ ही दिनों में नेशनल मेडिकल काउंसिल की टीम पलामू, दुमका और हजारीबाग में बने नए मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण करने पहुंचेगी। 


प्रोफेसर्स मिलने में हो रही है परेशानी
मिली जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग को प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर नहीं मिल रहे हैं। इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति करने का फैसला किया। स्वास्थ्य विभाग ने प्रोफेसर को ढाई लाख की जगह साढ़े तीन लाख और एसोसिएट प्रोफेसर को 2 लाख की जगह 3 लाख रुपये वेतन देने का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा। स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि कम वेतन में रिमोट एरिया में कोई भी डॉक्टर आने को तैयार नहीं है। वहीं वित्त विभाग ने ये कहते प्रस्ताव को ठुकरा दिया कि इतना वेतन तो मेट्रोपॉलिटन शहरों में भी नहीं मिलता है।

 

कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति के लिए नियमावली
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग में प्रोफेसर औऱ एसोसिएट प्रोफेसर की कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्ति के लिए नियमावली बनाई गई है। इस पर कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है। करीब 20 दिन पहले ही इसकी फाइल कैबिनेट में भेजी गई थी लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। कैबिनेट ने इस पर राय के लिए फाइल वित्त विभाग को भेज दी थी। नई नियमावली में नियुक्ति की उम्र सीमा 40 साल कर दी गई है। ऐसे में राज्य सेवा से सेवानिवृत्त डॉक्टरों की भी सेवा ली जी सकती है। 

मेडिकल कॉलेजों में इतने पद खाली हैं
राज्य के पांच मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर के 101 और एसोसिएट प्रोफेसर के 81 पद खाली हैं। स्वास्थ्य विभाग ने दोनों पदों पर वेतन में 1-1 लाख रुपये की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा है। तर्क दिया है कि झारखंड के छोटे शहरों में कोई डॉक्टर जाने को तैयार नहीं है। पिछली बार इंटरव्यू में भी डॉक्टर कम वेतन भत्तों के कारण नहीं आए। इनका वेतन बढ़ा दिया जातो हमें प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर मिल जाएंगे। मेडिकल कॉलेज चलाने में आसानी होगी।