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20 साल पहले किया था अंतिम संस्कार, पत्नी की दूसरी शादी के बाद भिखारी बन लौटा पति

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द फॉलोअप टीम, गढ़वा:
किस्मत इंसान को कब और कहां ले जाएगी कोई नहीं जानता। गढ़वा जिला के हुसैनी साव की कहानी इस बात को सिद्ध करती है। कौन हैं हुसैनी साव। क्या है इनकी कहानी। इनकी किस्मत की बात क्यों हो रही है, इस स्टोरी में आपको इन सारे सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे। 

गढ़वा के कल्याणपुर की कहानी
गढ़वा जिला मुख्यालय से सटा कल्याणपुर गांव। यहां रहने वाले हुसैनी साव तकरीबन 20 साल पहले अचानक लापता हो गए। खूब खोजबीन की गई। पत्नी और बच्चों ने हुसैनी साव को हर जगह तलाशा और जब वो नहीं मिले तो मृत मानकर उनका अंतिम संस्कार कर दिया। आज 20 साल बाद तक वे लोग यही मानकर चल रहे थे कि उनके परिवार का मुखिया अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन! एक दिन अचानक हुसैनी साव सामने आए। मध्य प्रदेश के बैढ़न में। वो भीख मांगते हुए अपनी बहन के घर पहुंच गए थे। ये कहानी कोई फिल्म नहीं है लेकिन किसी फिल्म से कम भी नहीं है। 

भीख मांगते हुए अपनी बहन के ही घर पहुंच गए हुसैनी
मध्य प्रदेश के बुढैन में एक बुजुर्ग पागलों जैसी वेश-भूषा में भीख मांग रहा था। भीख मांगता हुआ ये बुजुर्ग जब एक घर के पास पहुंचा तो घरवालों ने बुजुर्ग से उसका नाम पूछा। बुजुर्ग ने बताया हुसैनी साव और घर कल्याणपुर, झारखंड। संयोग देखिए, ये घर हुसैनी साव की बहन बिगनी देवी का था। बिगनी अपने भाई को घर ले गई। उसकी बाल और दाढ़ी कटवाई। नहलाया-धुलाया। साफ कपड़े पहनाए, खाना खिलाया और उनकी तस्वीर निकाल कर छत्तीसगढ़ के विजय नगर में रहने वाले चचेरे भाई कार्तिक साव को भेजी। हुसैनी साव की तस्वीर उसकी छोटी बेटी पिंकी को भी भेजी गई। 

कहानी आगे भी है जानिये क्‍या
बेटी पिंकी बुढैन जाकर अपने पिता को ले आई, अब उनका इलाज चल रहा है। कहानी यहीं खत्म नहीं होती। 20 साल पहले जब हुसैनी साव लापता हुए और उनके लौटने की कोई उम्मीद नहीं दिखी तो पत्नी ने कल्याणपुर वाली जमीन बेच दी। उन्होंने दूसरी शादी कर ली। उन्हें भी हुसैनी की तस्वीर दिखाई गई। जानकारी के मुताबिक हुसैनी साव की पत्नी को खुशी है कि वो लौट आया है लेकिन उसने वापस आने में असमर्थता जता दी। कहा कि अब उसका एक परिवार है। उसकी कुछ पारिवारिक जिम्मेदारियां और बंधन है इसलिए वापस नहीं लौट सकती।