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गढ़वा: NH-75 पर बने दर्जनों गड्ढे हादसों को दे रहे निमंत्रण, कई शिकायतों के बाद भी नहीं टूटी प्रशासन की कुंभकर्णी नींद

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द फॉलोअप टीम, गढ़वा: 

गढ़वा की सड़कों पर एक साथ कई सुविधा मिलती है। आप सड़क पर वाहन चलाते हुए रोलर-कोस्टर का मजा ले सकते हैं। बाइक को दो खड्ढों के बीच रोककर सी-शॉ का मजा उठा सकते हैं। मानसून आ रहा है। सड़क पर इतना पानी जमा हो गया है कि आप धान की बुआई और रोपाई भी कर सकते हैं। इसकी तस्वीर के साथ सोशल मीडिया में लिख भी सकते हैं कि हैशटेग मैं भी किसान। यदि आपको मछलियां खाने का शौक है तो गढ़वा की इस सड़क पर मछली पालन की भी सुविधा है। 

पूरी तरह जर्जर हो चुका है राष्ट्रीय राजमार्ग-75
गौरतलब है कि राजधानी रांची सहित आसपास के कई राज्यों को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-75 पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। कुछ किलोमीटर के दायरे में ही सड़क पर दर्जनों की संख्या में खड्ढा बन गया है। पहली बारिश में ही राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-75 ने सरकारी और प्रशासनिक दावों की पोल खोल दी है। कई गड्ढे वैसे हैं कि आपको पता ही नहीं चलेगा कि सड़क के बीच तालाब बन गया है या तालाब के बीच थोड़ी-थोड़ी सी सड़क बना दी गयी है। 

रोजाना सैकड़ों वाहनों का होता है आवागमन
बड़ी बात ये है कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग से रोजाना सैकड़ों गाडियों का आवागमन होता है। इनमें दोपहिया और चारपहिया सहित बड़े-बड़े ट्रकों की आवाजाही होती है। जिलाधिकारी सहित प्रशासन के तमाम अन्य पदाधिकारियों का काफिला भी इसी सड़क से होकर गुजरता है। कई बार मंत्रियों का पूरा काफिला हिचकोले खाते हुए इस रास्ते से गुजरता है लेकिन किसी का ध्यान जर्जर हो चुकी इस सड़क की दशा पर नहीं गया। सड़क की ऐसी हालत हादसों आमंत्रित करती है। 

इन इलाकों में सड़कों पर बने हैं बड़े गड्ढे
राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 75 में पुरैनी पुल, हेंहो मोड़, धमनी पुल, जंगीपुर पेट्रोल पंप सहित कई स्थानों पर दर्जनों की संख्या में छोटे-बड़े गड्ढे बन गए हैं। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद इन गड्ढों में पानी भर गया है। पानी भर जाने की वजह से कई बार वाहन चालकों को गड्ढे की गहराई का अंदाजा नहीं होता। इस वजह से हादसे की आशंका बनी रहती है। बीते कुछ दिनों में कई बाइक और साइकिल सवार सड़क पर गंभीर दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। स्थानीय लोगों ने कई बार सड़क की मरम्मत की मांग की है लेकिन अधिकारियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। यही नहीं, जनप्रतिनिधियों ने भी समस्या का समाधान करना मुनासिब नहीं समझा।