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गंगा मे तैरते शवों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, बिहार औऱ यूपी के मुख्य सचिव को नेटिस जारी

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द फॉलोअप टीम, नई दिल्ली :
गंगा नदी में तैरते शवों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। एक आम नागरिक की लिखित शिकायत पर संज्ञान लेते हुए आयोग ने बिहार और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों केंद्रीय जल शक्ति (जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग) को नोटिस जारी कर 4 सप्‍ताह के भीतर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्‍तुत करने का निर्देश दिया है। गंगा नदी में तैरते शव पूरे देश में चर्चा का विषय बने थे। इसके साथ ही कई सवाल खड़े हुए थे, जिसके जवाब मानवाधिकार आयोग ने मांगे हैं। 

मामले की जांच करने में प्राधिकारण असक्षम 
नोटिस जारी करते हुए आयोग ने यह भी कहा कि ऐसा लगता कि सार्वजनिक प्राधिकरण जनता को शिक्षित करने तथा गंगा नदी में आधे जले हुए अथवा बिना जले हुए शवों के विसर्जन की जांच के लिए ठोस प्रयास करने में विफल रहे हैं। हमारी पवित्र गंगा नदी में शवों के निपटान की प्रथा, जलशक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के स्‍वच्‍छ गंगा परियोजना के राष्‍ट्रीय मिशन के दिशा-निर्देश का स्‍पष्‍ट उल्‍लंघन है।

गंगा नदूीं प्राधिकरण के आदेश का भी उलंघन 
यह नोट किया गया कि गंगा नदी (जीर्णोद्धार, संरक्षण एवं प्रबंधन) प्राधिकरण के आदेश 2016, जो गंगा नदी में पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण एवं उन्‍मूलन के उपायों से संबंधित है तथा जिसके अनुसार पानी के निरंतर पर्याप्‍त प्रवाह को सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि गंगा नदी का अपने प्राकृतिक एवं प्राचीन स्थिति में जीर्णोद्धार हो तथा इससे जुड़े मामलों और आकस्मिक उपचारों को भी निर्धारित किया गया है जिसके अनुसार गंगा नदी के जीर्णोद्धार, संरक्षण एवं प्रबंधन के लिए न केवल अनिवार्य सिद्धांतों का पालन किया जाना चाहिए बल्कि कर्तव्‍य भी निभाया जाना चाहिए। 

11 मई को दर्ज हुई थी शिकायत 
शिकायतकर्ता ने दिनांक 11 मई, 2021 को, अनेक मीडिया रिपोर्टों के आधार पर आशंका जताई थी कि ये शव कोविड पीडि़तों के थे, अत: शवों का इस प्रकार से निपटान करने से उन सभी लोगों पर गंभीर असर पड़ेगा जो अपनी दैनिक गतिविधियों के लिए पवित्र नदी पर निर्भर करते हैं। यह भी उल्‍लेख किया गया था कि यदि ये शव कोविड पीडि़तों के नहीं भी हैं, तो भी इस प्रकार की प्रथा/घटना पूरे समाज के लिए शर्मनाक है क्‍योंकि यह मृतक व्‍यक्तियों के मानव अधिकारों का उल्‍लंघन है। शिकायतकर्ता ने उन लापरवाह लोक प्राधिकारियों, जो इस प्रकार की घटनाओं को रोकने में विफल रहे, के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने के लिए आयोग से हस्‍तक्षेप करने का आग्रह किया था।