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अब तालिबान ने कॉमेडियन नज़र मोहम्मद को गला रेत कर मार डाला

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रंगनाथ सिंह, दिल्‍ली:

खबर है कि नजर मोहम्मद को तालिबान ने गला रेत कर मार दिया। अफगान पत्रकारों के ट्वीट के अनुसार वो कॉमेडियन थे। उनका एक वीडियो शेयर हो रहा है जिसमें वो कोट-हैट में हैं। कार में दो असलहाधारियों के बीच में बैठे हैं। एक आतंकी उन्हें दो थप्पड़ लगाता दिख रहा है। उन्हें घर से खींचकर मार दिया गया। मुझे नहीं लगता कि उन्होंने किसी पैगम्बर या देवी-देवता पर चुटकुला सुनाया होगा। वो किस तरह का चुटकुला सुनाते थे यह भी नहीं पता। देखने से उम्र 55-60 के आसपास लगती है। दूसरी तरफ चीनी नेता तालिबानी नेता से मिल रहे हैं। अमेरिका नेता भारतीय नेता से। पाकिस्तानी नेता, तुर्की नेता, रूसी नेता और बाकी बचे सारे नेता भी किसी न किसी से मिल रहे होंगे।

 

 

 

कौन देता है तालिबानेियों को हथियार

तालिबानी बन्दूक और गोली नहीं बनाते। इन्हीं मुलाकातों में उन्हें वो सामान उपलब्ध हो रहे होंगे जिनसे वो नजर मोहम्मद जैसों की हत्या करते हैं। लोग कलाकारों एवं बुद्धिजीवियों से उम्मीद बहुत ज्यादा करते हैं जबकि असल दुनिया के कारोबार में उनका बहुत कम दखल होता है। असल दुनिया को वो लोग चलाते हैं जो जनता को धर्म जैसी चीजों के नाम पर बरगलाकर उसका इस्तेमाल करते हैं। तालिबान जब पिछली बार सत्ता में आये थे तो हम खुलकर उनकी आलोचना करते थे। बीते दो दशक में भारत में बुद्धिजीवियों की हत्या और उत्पीड़न की इतनी वारदात हो चुकी हैं कि अब तालिबानियों की ऐसी हरकतें देखकर अपने देश के भविष्य की चिन्ता सताने लगती है। 

गहरी नफरत का घर कर जाना

न जाने यह कैसे हुआ है कि हम सब के अन्दर किसी न किसी समुदाय या समूह के खिलाफ गहरी नफरत घर कर चुकी है। यहीं सोशलमीडिया पर देख रहा हूँ कि लोग किसी न किसी के प्रति गहरी नफरत से संचालित होकर जिये जा रहे हैं। ध्यान रहे मैं क्रोध की बात नहीं कर रहा। वह क्षणिक चीज है। किसी घटना या कृत्य पर आक्रोशित हो जाना कुछ देर की बात होती है। नफरत किसी व्यक्ति या समुदाय के प्रति स्थायी क्रोध है जो हर वक्त आपके अन्दर मौजूद रहता है। आप जिससे नफरत करते हैं उसे देखते ही आपके अन्दर क्रोध की अग्नि भड़क उठती है। कहते हैं, क्रोध अल्पकालिक पागलपन है। इस लिहाज से नफरत से संचालित जन पूर्णकालिक पागल कहे जाएँगे। ऐसा कुछ है जिसका आपके निजी जीवन से सम्बन्ध नहीं है लेकिन आप उसे देखते-सुनते ही क्रोधित या उत्तेजित महसूस करने लगते हैं तो समझिए कि आप नफरत के मतिमारन विषाणु की चपेट में आ चुके हैं।

(रंगनाथ सिंह हिंदी के युवा लेखक-पत्रकार हैं। ब्‍लॉग के दौर में उनका ब्‍लॉग बना रहे बनारस बहुत चर्चित रहा है। बीबीसी, जनसत्‍ता आदि के लिए लिखने के बाद संप्रति एक डिजिटल मंच का संपादन। )

नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।