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JPSC आंदोलन को हुआ आज 33वां दिन, 7 दिसंबर को पूरे झारखंड से होगा छात्रों का महाजुटान

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द फॉलोअप टीम, रांचीः

मोराबादी बापू वाटिका में सातवीं से दसवीं जेपीएससी में हुए कथित घोटाले  को लेकर अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन अभी भी जारी है। आज आंदोलन के 33 दिन पूरे हो गये हैं। आंदोलन कर रहे छात्रों का कहना है कि परीक्षा के द्वितीय पाली 2 बजे से पूर्व हजारीबाग जिला में क्वेश्चन लिक हुआ था, जिसका हमारे पास पुख्ता सबूत है।  इसलिए पीटी परीक्षा में सिर्फ हजारीबाग से 700 रिजल्ट है । यह गंभीर मामला है इसका जांच होना चाहिए।  

साथ ही लोहरदगा और साहेबगंज में लगातार क्रमवार पास करने वाले अभ्यार्थियों का ओएमआर सीट जेपीएससी से गुम हो गया है इसीलिए सभी छात्रों का बिना कॉपी जांच किए ही सबको पास कर दिया गया है । इसलिए झारखंड गजट कंडिका 30 में वेबसाइट में OMR अपलोड करने का नियम स्पष्ट उल्लेख के बावजूद परीक्षाफल के 33 दिन बीतने के बावजूद आयोग ने OMR शीट अपलोड करने में असक्षम है। 


7 दिसंबर को छात्रों का महाजूटान 
मौके पर प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आयोग परीक्षा रद्द करने के बजाय मेंस परीक्षा की तैयारी कर रहा है। इसीलिए आंदोलन की ओर मुख्यमंत्री और राज्यपाल का ध्यान आकृष्ट करने 7 दिसंबर को पूरे झारखंड के छात्रों का महाजूटान होगा और राज्यपाल न्याय गुहार यात्रा करते हुए राजभवन के समक्ष महाधरना किया जाएगा। जिसमें सम्पूर्ण झारखंड के 24 जिले से छात्र शामिल होंगे। मौके पर छात्र नेता देवेन्द्र नाथ महतो, मनोज यादव थे। 

गड़बड़ी का लग रहा आरोप 
छात्र कह रहे हैं कि आदिम जनजाति का एक अभ्यर्थी 224  अंक लाकर फेल है जबकि कट ऑफ 220 गया है, इससे पूर्व आयोग को सौंपा गया ओबीसी वर्ग वन का कट ऑफ 252 अंक गया है फिर भी कैसे 230 अंक वाला पास कर गया है । सुदूर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में परीक्षा सेंटर होने के कारण पर्यवेक्षक अपना परिचय होने के कुछ मदद के वजह से   2,3 की श्रृंखला में लगभग 242 अभ्यर्थी विभिन्न परीक्षा केंद्रों में क्रमवार  पास हुए हैं, इस तरह का अनेक गड़बड़ी और सैटिंग गेटिंग का ही परिणाम है कि छठी जेपीएससी से सातवीं जेपीएससी का कट ऑफ में 54 अंक का उछाल हुआ है। जेपीएससी अपना गलती छुपाने के लिए रिजेक्शन लिस्ट तथा आदिम जनजाति कोटा, स्पोर्ट्स कोटा और दिव्यांग कोटा में किसका रिजल्ट है जारी नहीं कर रहा है, झारखंड सरकार नियुक्ति नियमावली गजट 17.2 में सिंगल कट ऑफ का स्पष्ट उल्लेख है फिर भी उसका पालन नहीं किया गया है।