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किसान आंदोलन का 1 साल पूरा, पढ़िए! बीते 1 साल में देश ने देखा कौन सा उतार-चढ़ाव

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
हरियाणा के बहादुरगढ़ में किसानों की महापंचायत जारी है। बहादुरगढ़ में तीन कृषि कानूनों के विरोध की पहली बरसी पर किसानों ने महापंचायत का आयोजन किया। इसमें बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया। कई किसान नेता भी इस महापंचायत में पहुंचे। यहां किसानों ने कानून वापस लिये जाने तक, आंदोलन के दौरान किसानों की मौत का मुआवजा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित गारंटी की मांग के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित की। 

बहादुरगढ़ और सिंघु बॉर्डर में जुटे किसान
ना केवल बहादुरगढ़ बल्कि सिंघु बॉर्डर पर भी किसान बड़ी संख्या में जमा हुए। ये लोग भी तीन कृषि कानूनों के विरोध की पहली वर्षगांध के मौके पर वहां जमा हुए। गौरतलब है कि 1 साल पहले इसी दिन पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी सहित देश के बाकी हिस्सों से किसानों ने दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर आंदोलन शुरू किया था। आंदोलन को 1 साल बीत चुका है और अभी भी जारी है। हालांकि बीते दिनों पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लिये जाने का ऐलान किया। कैबिनेट से भी कृषि कानून वापस लेने का प्रस्ताव पास हो चुका है। 

पीएम मोदी ने किया कानून निरस्ती का फैसला
कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक पवित्र उद्देश्य के साथ किसान बिल लाया गया था। कृषि बिल का उद्देश्य किसानों की भलाई थी। उनकी आय क्षमता में वृद्धि करना ही एकमात्र लक्ष्य था लेकिन ऐसा लगता है कि हम ये बात किसानों को नहीं समझा पाये। पीएम ने कहा था कि मैं कृषि बिल वापस लेने का ऐलान करता हूं। आगामी शीतकालीन सत्र में इसकी वापसी की संसदीय प्रक्रिया भी पूरी की जायेगी। खबरें हैं कि शीतकालीन सत्र के पहले दिन केंद्र सरकार द फॉर्म लॉ रिपील बिल को पटल पर रखने वाली है। 

पूर्ववत जारी है किसानों का आंदोलन
पीएम मोदी ने कृषि बिल वापस लेने का ऐलान कर दिया है लेकिन किसानों का आंदोलन पूर्ववत जारी है। किसानों का मानना है कि जब तक किसानों की मौत को लेकर मुआवजे का ऐलान नहीं होता। न्यूनतम समर्थन मूल्य की लिखित गारंटी नहीं मिलती, आंदोलन खत्म नहीं होगा। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। विपक्ष भी यही कह रहा है कि एमएसपी की गारंटी चाहिए।