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प्रधानमंत्री ने कहानी सुनाने की कला बतायी, किसानों के अनुभवों को भी साझा किया

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द फॉलोअप टीम, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को 'मन की बात' का 69वां एपिसोड लेकर आए। उन्हों ने कोरोना वायरस महामारी से जीवन में आए बदलावों का जिक्र करते हुए कहा कि परिवार का महत्वा अब समझ आ रहा है। उन्हों ने लॉकडाउन में गुजारे गए पलों को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहानी सुनाने की कला का जिक्र करते हुए कहा कि 'कहानियों का इतिहास उतना ही पुराना है जितनी कि मानव सभ्यतता।' उन्होंअने हितोपदेश और पंचतंत्र का जिक्र करते हुए कहा कि कहानियों से विवेक और बुद्धिमत्ताा का संदेश दिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'बेंगलुरु स्टो री टेलिंग' ग्रुप से एक कहानी सुनाने की दरख्वाास्तट की। 

किसानों के अनुभवों को साझा किया 
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हाल ही में कृषि से जुड़े तीन विधेयक लेकर आई है जिसका भारी विरोध हो रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने 'मन की बात' में किसान के अनुभवों को साझा करते हुए नए प्रावधानों के बारे में बताया। उन्हों ने कहा, "मुझे कई ऐसे किसानों की चिट्ठियां मिलती हैं, किसान संगठनों से मेरी बात होती है, जो बताते हैं कि कैसे खेती में नए-नए आयाम जुड़ रहे हैं, कैसे खेती में बदलाव आ रहा है। उन्होंने कहा कि तीन–चार साल पहले ही, महाराष्ट्र में, फल और सब्जियों को एपीएमसी के दायरे से बाहर किया गया था। इस बदलाव ने कैसे महाराष्ट्र के फल और सब्जी उगानेवाले किसानों की स्थिति बदली, इसका उदाहरण हैं।  

भगत सिंह जयंती का जिक्र किया
उन्होंने शहीद भगत सिंह का संस्मरण सुनाते हुए कहा कि "एक-सौ-एक साल पुरानी बात है। 1919 का साल था। अंग्रेजी हुकूमत ने जलियांवाला बाग में निर्दोष लोगों का कत्लेनआम किया था। इस नरसंहार के बाद एक बारह साल का लड़का उस घटनास्थल पर गया। वह खुशमिज़ाज और चंचल बालक, लेकिन, उसने जलियांवाला बाग में जो देखा, वह उसकी सोच के परे था। वह स्तब्ध था, यह सोचकर कि कोई भी इतना निर्दयी कैसे हो सकता है। वह मासूम गुस्से की आग में जलने लगा था। उसी जलियांवाला बाग़ में उसने अंग्रेजी शासन के खिलाफ़ लड़ने की कसम खाई। क्या आपको पता चला कि मैं किसकी बात कर रहा हूं? हां! मैं, शहीद वीर भगतसिंह की बात कर रहा हूं। कल, 28 सितंबर को हम शहीद वीर भगत सिंह की जयंती मनायेंगे।