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सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच की अनबन कितना सुलझा पाएंगी प्रियंका गाँधी!

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द फॉलोअप टीम, दिल्ली:
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जब विधानसभा चुनाव हो रहे थे, तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष क्रमश: कमलनाथ, सचिन पायलट और भूपेश बघेल थे। तीनों ने मेहनत भी बहुत की थी। इसलिए जब कांग्रेस सत्ता में आई तो मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल तो बनाए गए, लेकिन राजस्थान में सचिन पायलट की जगह अशोक गहलोत को मुख्यवमंत्री बना दिया गया। तब से सचिन रूठे ही हुए हैं। हालांकि उन्हें  डिप्टी सीएम बनाया गया। बाद में उन्होंने इस्तीिफा दे दिया। इधर, जब जितिन प्रसाद ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया, तो सचिन के बारे में भी पार्टी छोड़ने की अफवाह उड़ने लगी। सचिन गुट के 8 विधायकों के बयानों ने इसे और हवा दी। हालांकि सचिन पायलट पार्टी में रहकर ही इस समस्या का समाधान करने में लगे हैं। वो राज्‍य मंत्रिमंडल में अपने लोगों के लिए जगचाहते हैं। उनकी  आज दिल्‍ली में प्रियंका गांधी से मुलाकात होने वाली है। बता दें कि पिछले साल भी ऐसे ही एक बगावत की बात सामने आ रही थी जिसे प्रियंका गांधी ने सुलझाने में अहम भूमिका निभाई थी। सचिन को प्रियंका ने मुद्दों को हल करने का आश्वासन भी दिया है। 

क्या यही नाराजगी की वजह 
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच विवाद किसी से छिपा नहीं है। दोनों के बीच इस खटपट की शुरुआत 2018 में ही हो गई थी। यह बगावत उसी दिन शुरू हो गयी थी जिस दिन पार्टी ने सचिन पायलट को नजरअंदाज कर अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया था। इसके बाद से दो साल तक दोनों के बीच रस्साकशी चलती रही। यह अब खुलकर सामने आ गई। 

रीता बहुगुणा की हिम्मत नहीं बात करने की 
चर्चाये यह भी है कि सचिन पायलेट बीजेपी में शामिल होने वाले हैं। भाजपा नेत्री रीता बहुगुणा जोशी ने एक बयान दिया था जिसमे सचिन पायलेट के बीजेपी में शामिल होने की बात कही गयी थी। इस ब्यान को सचिन ने सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि उनकी हिम्मत नहीं मुझसे बात करने की। उन्होंने सचिन तेंदुलकर से बात की होगी। पायलट ने इस सप्ताह कार्रवाई की कमी पर नाराजगी जाहिर की है। जबकि पिछले साल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए समिति का गठन किया गया था।

समाधान के लिए हो रहा लम्बा इन्तजार 
राजस्थान में टकराव की स्थिति बनने पर सचिन पायलट के समर्थकों का कहना है कि पायलट ने जो मुद्दा उठाया है उसके समाधान में लम्बा इंतजार करवाया जा रहा है। हालांकि लोगों ने उम्मीद जताई है कि पार्टी जल्द ही कोई उचित फैसला लेगी। पायलट के सूत्रों से मालूम होता है कि उनके समर्थक विधायक और अन्य नेता सरकार और संगठन में अपनी वाजिब हिस्सेदारी चाहते हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि यह जल्द होगा। यह भी स्पष्ट  हुआ है कि पायलट के समर्थक नेता कांग्रेस के भीतर रहकर अपना मुद्दा उठाना चाहते हैं। हालांकि अभी तक पायलेट इस पर कोई बयान नहीं दिया है।