सैयद एस. तौहीद, पटना:
रक्षा बंधन भारतीय संस्कृति का अहम त्योहार है। यह देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। बहन- भाई के पवित्र रिश्ते को जीवंत करता यह पर्व महत्वपूर्ण है। भाई की कलाई पर बंधे कच्चे धागे के टुकड़े में स्नेह की महान शक्ति होती है। भाई के लिए बहनें नेक कामनाओं के साथ रिश्ते का मज़बूत धागा बांधती हैं। बदले में भाई इस रिश्ते की लाज़ रखने की कसमें खाते हैं। मुसीबतों के सामने ढाल बनने का संकल्प लेते हैं। बहन- भाई के धागे को जोड़ने वाला यह पर्व सावन महीने के पूर्ण चंद्रमा के दिन मनाया जाता है। हिंदी सिनेमा में त्योहारों पर केंद्रित गीतों की बात होगी तो उसमे अवश्य ही रक्षाबंधन का ज़िक्र होगा। राखी पर बने गीतों ने एक तरह से सिनेमा को समृद्ध किया है। भारतीय संस्कृति से हमें जोड़ने का काम किया है।
1. छोटी बहन (1959) का यह गीत स्वयं में बहुत सुंदरता समेटे हुए है। आजकल ऐसी फिल्में और गीत कहां बनते हैं। गीत के दोनों वर्ज़न बेहतरीन है। शीर्षक भूमिका नंदा ने निभाई थी। नंदा अपने भाइयों को राखी बांध रहीं हैं। बलराज साहनी एवं रहमान बहन से राखी बंधवा रहें हैं। जबकि मेहमूद भी इंतज़ार में हैं।
लता मंगेशकर के बेहतरीन गीतों में इसे जरूर जगह मिलेगी। शैलेन्द्र ने क्या अच्छा गीत लिखा जो आज भी अपना महत्व रखता है। शंकर जयकिशन की धुनें अपनी जगह।
भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना
भैया मेरे छोटी बहन को ना भुलाना
देखो यह नाता निभाना, निभाना..
2. बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है । रेशम की डोरी से संसार बांधा है ( रेशम की डोरी) (1974) । रेशम की डोरी के इस मकबूल गीत को स्वर दिया था सुमन कल्याणपुर ने। संगीत था शंकर जयकिशन का। इंदीवर के लिखे सबसे यादगार गानों में इसका शुमार होना चाहिए। इसे धर्मेंद्र पर फिल्माया था । रक्षा बंधन के सबसे बेहतरीन गीतों में एक । रेशम की डोरी धर्मेन्द्र की बड़ी कामयाब फिल्म थी।
बहना ने भाई की कलाई से
बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है
प्यार के दो तार से संसार बांधा है
रेशम की डोरी से
रेशम की डोरी से संसार बांधा है
3. मेरे भैया को संदेशा पहुंचाना ( दीदी ) 1959 के इस गीत को लता मंगेशकर ने आवाज़ दी थी। साहिर लुधियानवी के बाक़ी गीतों की तरह यह गीत भी काफी अच्छा है। परदे पर इसे जयश्री गड़कर पर फिल्माया गया था। इसमें सुनील दत्त, शुभा खोटे व मासूम डेज़ी ईरानी को देखा जा सकता है।
मेरे भैया
मेरे भैया को संदेशा पहुंचाना
रे चंदा तेरी ज्योत बढ़े
रे चंदा तेरी ज्योत बढ़े
मेरे भैया को संदेशा पहुंचाना
4. राखी के दिन वादा करो निभाओगे (प्यारी बहना) 1985
राखी पर केन्द्रित इंदीवर का लिखा एक और सुंदर गीत। गीत को इंद्राणी मुखर्जी ने आवाज़ दी है। जबकि बप्पी दा का संगीत है। मिथुन चक्रवर्ती, पदमिनी कोल्हपुरे, विनोद मेहरा अभिनित इस फिल्म हालांकि जल्दी भूला दिया गया । लेकिन यह अकेला गाना हमें फिल्म की तरफ ले जाता है। गाने को पदमिनी कोल्हपुरे, तन्वी आज़मी एवं अन्य पर फिल्माया गया है। फिल्म को बापू ने निर्देशित किया था।
राखी के दिन वादा करो
वादा निभाओगे
अपनी प्यारी बहना की लाज़ बचाओगे
राखी के दिन वादा करो
वादा निभाओगे
5 . मेरी बहना यह राखी की लाज़ ( घर द्वार ) 1985
मनहर उदास, मो अजीज एवं सुरेश वाडकर को एक साथ सुनना हो तो यह गीत जरूर सुनें।अनजान का लिखा यह गीत रक्षाबंधन के उपर लिखा एक सुंदर गीत है। चित्रगुप्त ने इसे धुनों से सजाया था।
मेरी बहना यह राखी की लाज़
तेरा भैया निभाएगा
मेरी बहना
तुझे दिल से कभी न भुलाएगा
यह गाना श्री राम लागू , राजकिरण एवम् सचिन पर फिल्माया गया। गाने में तनुजा भी दिखाई देती हैं। श्री राम लागू को किसी गाने में देखना एक नया अनुभव निर्मित करता है। वो शायद ही किसी गाने के लिए स्क्रीन पर लिप सिंकिंग नजर आते हैं। राखी पर केंद्रित गीतों में इस गीत को हम अक्सर भूल जाते हैं।
6. चंदा रे मेरे भैया से कहना ( चंबल की कसम) 1979
साहिर साहब के लफ्जों को लता मंगेशकर ने जब भी आवाज़ दी कमाल हुआ। यह गीत भी अलग नहीं। खय्याम साहेब ने बेहतरीन धुनें बनाई। इन तीनों की जुगलबंदी ने हमें राखी का यादगार गीत दिया। जिसे आज भी सुना जा सकता है।
चंदा रे मेरे भैया से कहना
हो मेरे भैया से कहना
बहना याद करे
चंदा रे..
फिल्म में राज कुमार, मौसमी चटर्जी निरूपा रॉय, फरीदा जलाल, उषा किरण, शत्रुघ्न सिन्हा आदि ने काम किया था। फिल्म डकैतों की जिंदगी पर करीबी नज़र थी। फिल्म में कई मशहूर गाने संग्रहित हैं। मसलन यह गाना जिसे बहन फरीदा जलाल पर फिल्माया गया है। बहन अपने भाई को राखी पर याद कर रही है। वो भाई को संदेश पहुंचाने के लिए चांद की इल्तिज़ा कर रही।
7. राखी कहती है तुमसे भैया ( एक फूल एक भूल) 1968
उषा खन्ना की धुनों को सुमन कल्याणपुर ने आवाज़ दी। इंदीवर लिखे गीत हमेशा कुछ अलग रहे। यहां भी उनका कमाल महसूस किया जा सकता है।
राखी कहती है तुमसे भैया
हो राखी कहती है तुमसे भैया
रखना लाज़ बहन की
सावन में पड़े जब झूले
भाई ना बहन को भूले
याद दिलाएगी तुमको मेरी
हर सावन की बदली
किदार कपूर द्वारा निर्देशित फिल्म में देव कुमार, जेब रहमान, मदन पुरी, जयंती, हेलन आदि ने मुख्य भूमिकाएं अदा की। गाना फिल्माया गया जेब रहमान, जयंती आदि पर। इस क्लिप में देव कुमार भी नज़र आ रहें।
8. यह राखी बंधन है ऐसा ( बेईमान ) 1972
सत्तर के दशक में गीतकार वर्मा मलिक व संतोष आनंद मनोज कुमार के लिए एक से बढ़कर एक गीत लिख रहे थे। मनोज कुमार के श्रेष्ठ अभिनय से सजी बेईमान को फिल्मफेयर अवार्ड भी मिला था। वर्मा मलिक ने इस फिल्म में सिचुएशन के हिसाब से अच्छे गीत लिखे। उदाहरण के रूप में राखी पर केंद्रित इसी गीत को देखें। लता मंगेशकर एवम् मुकेश की आवाज़ आज भी पुरानी नहीं पड़ी। शंकर जयकिशन कई तरह बेहतरीन काम कर रहे थे। यह गीत भी उन्हीं में से है।
मनोज कुमार जोकि साठ के दशक के अंत तक अनेक फिल्मों में ' भारत' बनके उभरे थे। यहां इस फिल्म में अलग किस्म की भूमिका में नज़र आए। केवल मनोज कुमार ही नहीं फिल्म के गाने भी उनकी अभी तक के लीग से अलग थे। मसलन शीर्षक गीत ' जय बोलो बेईमान की' का ही उदाहरण देखें। लेकिन राखी के उपर लिखा गीत फ़िल्म को यादगार बना देता है। यह यादगार राखी गाना मनोज कुमार एवं अभिनेत्री निज्जिमा पर फिल्माया गया था।
यह राखी बंधन है ऐसा
यह राखी बंधन है ऐसा
जैसे चंदा और किरण का
जैसे बदरी और पवन का
जैसे धरती और गगन का
यह राखी बंधन है ऐसा।
9. मेरे भैया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन ( काजल) 1965
साहिर के लिखे एक और शाहकार को आशा दी ने अपनी आवाज़ दी। रवि का संगीत का काफी अच्छा है। रक्षाबंधन के गीतों में यह गीत बहुत मकबूल हुआ। यह गाना तुरन्त ज़बान पर आ जाने लायक है। हिंदी सिनेमा में रक्षा बंधन को अमर कर देने में इस समान गीतों का योगदान महान है।
मेरे भैया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन
तेरे बदले मैं ज़माने की कोई चीज ना लूं
मेरे भैया मेरे चंदा मेरे अनमोल रतन
बात राखी की हो रही तो ' काजल ' फ़िल्म का यह गीत याद आता है। संगीतकार रवि पर जब कभी चर्चा होगी। इस गीत का जरूर उल्लेख किया जाएगा। राखी पर बने यादगार गानों में टॉप के गानों में आता है। मशहूर ' भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना' के बाद सबसे श्रेष्ठ गीत है। इसे मीना कुमारी पर फिल्माया गया। राज कुमार मीना कुमार की चुनिंदा फिल्मों में काजल को भुलाया नहीं जा सकता।
10 .अबके बरस भेजो भैया को बाबुल ( बंदिनी ) 1963
बंदिनी के गीतों को भला कौन भूला होगा। सचिन देव बर्मन का महान संगीत । शैलेंद्र के लिखे गीत काफ़ी मकबूल हुए। नूतन अशोक कुमार अभिनित यह फिल्म बिमल राय की महान फिल्मों में सबसे ऊंची पायदान पर आती है। हिंदी सिनेमा की चर्चा बंदिनी के बिना अधूरी सी है। फिल्म के थोड़े कम मशहूर हुए गीत काफ़ी ज़बरदस्त हैं। मसलन रक्षा बंधन पर केन्द्रित इसी गीत को देखें। आशा भोंसले ने इसे आवाज़ दी थी।
जेल में क़ैद महिला किरदार पर फिल्माए गीतों में दर्द भरा गीत है। बंदिनी जेल में कैदी है। उसी जेल में बंदिनी ( नूतन) भी हैं। महिला अपने बिछड़े भाई को याद कर रही। वो उसे देखने को व्याकुल है। किन्तु पास जा नहीं सकती। जेल की चारदीवारी में घुट रही है। गीत से गुजरते हुए हमें बहुत दुख होता है। सचमुच भाई- बहन के रिश्ते की गहराई यहीं समझ आती है।
अबके बरस भेजो भैया को बाबुल
सावन ने बुलाया रे
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियां देजो संदेशा भिजाए रे
अबके बरस भेजो भैया को बाबुल
अबके बरस भेजो भैया को बाबुल
सावन ने बुलाया रे
लौटेंगी जब मेरे बचपन की सखियां देजो संदेशा भिजाए रे
अबके बरस भेजो भैया को बाबुल..
(सैयद एस. तौहीद जामिया मिल्लिया के मीडिया स्नातक हैं। सिनेमा केंद्रित पब्लिक फोरम से लेखन की शुरुआत करने के उपरांत सिनेमा व संस्कृति विशेषकर फिल्मों पर लेखन करते हैं। सिनेमा पर ईबुक्स प्रकाशित।)
नोट: यह लेखक के निजी विचार हैं। द फॉलोअप का सहमत होना जरूरी नहीं। हम असहमति के साहस और सहमति के विवेक का भी सम्मान करते हैं।