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इस दिव्यांग ने कभी नहीं फैलाया दूसरों के आगे हाथ, लेकिन कोरोना ने स्थिती कर दी दयनीय

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द फॉलोअप टीम, धनबादः
आमतौर पर लोग दिव्यांग होते हैं तो कोई ना कोई उनका सहारा होता है जो उसकी सेवा करता है उसे बैठाकर दो वक्त की रोटी खिलाता है। लेकिन धनबाद झारिया के रहने वाले रितेश कुमार खुद दिव्यांग होते हुए भी अपने परिवार की जिम्मेदारी संभाल रहे है। रितेश ने अपने साथ परेशानी होते हुए भी कभी किसी के आगे अपने दुखों का रोना नहीं रोया। बीते 10 साल से परिवार उनपर निर्भर है।

 
वर्ष 2017 में स्नातक किया  
रितेश ने संघर्ष के साथ आरएसपी कॉलेज से वर्ष 2017 में स्नातक की। 10 साल पहले बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। बच्चों को पढ़ाते हुए अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। घर-परिवार का खर्च चल रहा था लेकिन फिर कोरोना आ गया। अब स्कूल खोलने की अनुमति के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के पास चक्कर लगा रहे हैं। आपदा प्रबंधन विभाग और कोरोना गाइडलाइन के कारण अनुमति नहीं मिल रही है। 


1 हजार मिलता है पेंशन 
रितेश सिंह ने बताया कि उन्हे एक पेंशन मिलता है। हजार रुपए में क्या होनेवाला है। घर में माता-पिता और भाई को राशन कार्ड पर राशन मिलता है। उसी से किसी तरह गुजारा हो रहा है। उसके नाम पर  कोई राशन कार्ड भी नहीं है। पत्नी और बच्चे का भी नाम नहीं है। पहले था, तो डिलीट हो गया। रितेश कहते है कि गरीब बच्चे मोबाइल कहां से रखेंगे। ऑनलाइन क्लास कैसे हो पाएगा। अगर होगा, भी तो उनसे फीस लेना संभव नहीं है।