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दुमका के कर्माचुआ गांव में मनाया गया संताल परगना दिवस, जानिए इसका इतिहास! 

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द फॉलोअप टीम, दुमका: 

बुधवार को संताल परगना का 166वां स्थापना दिवस मनाया गया। गौरतलब है कि 22 दिसंबर 1855 को संताल परगना भू-भाग का गठन किया गया था। संताल परगना में मौजूदा समय में 6 जिले हैं। दुमका, गोड्डा, जामताड़ा, देवघर, साहिबगंज और पाकुड़ सताल परगना प्रमंडल के अंतर्गत आते हैं। कहा जाता है कि सिद्धो-कान्हू द्वारा छेड़े गए हूल आंदोलन की वजह से ब्रिटिश शासन ने संताल परगना भू-भाग दिया। 

स्वतंत्रता आंदोलन में सिद्धो-कान्हू की भूमिका
गौरतलब है कि बुधवार को दुमका जिला के शिकारीपाड़ा प्रखंड अंतर्गत सीमानीजोड़ पंचायत के कर्माचुआ गांव में संताल परगना दिवस मनाया गया। समाजसेवी सच्चिदानंद सोरेन की अगुवाई में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान सच्चिदानंद सोरेन ने ग्रामीणों को हूल क्रांतिकारी सिद्धो-कान्हू तथा स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका पर विस्तृत जानकारी दी। 

शिक्षा हमारी बुनियादी जरूरत है और हक है
समाजसेवी सच्चिदानंद सोरेन ने बताया कि संताल हूल की बदौलत ही संताल परगना का भू-भाग अंग्रेजों के समय में हमें मिला। उन्होंने कहा कि ये स्वतंत्रता संघर्ष की बड़ी उपलब्धि थी। उन्होंने कहा कि शिक्षा बुनियादी जरूरत और आपका हक है। अशिक्षा की वजह से हम अन्य मूलभूत अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। कार्यक्रम के अंत में बच्चों के बीच चॉकलेट का वितरण किया गया। कार्यक्रम में बुदन मुर्मू, होपना सोरेन, चुड़का हांसदा, नर्स मुर्मू, लीलमुनि सोरेन, ताला सोरेन, जोबा बेसरा आदि उपस्थित थे।