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टीएसी पर CM से टकराव से लेकर DGP को तलब करने तक, ये हैं राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से जुड़े बड़े विवाद

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द फॉलोअप टीम, रांची: 

झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का कार्यकाल मई 2020 में ही खत्म हो गया। द्रौपदी मुर्मू 1 साल ज्यादा तक झारखंड की राज्यपाल रहीं। अब उनकी विदाई हो रही है। राष्ट्रपति ने त्रिपुरा के राज्यपाल रहे रमेश बैस को झारखंड का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। द्रौपदी मुर्मू साल 2015 में ही झारखंड की राज्यपाल बनाई गई थीं। द्रौपदी मुर्मू 6 साल 1 महीने और 18 दिन तक झारखंड की राज्यपाल रहीं। अब वो अपने गृहराज्य ओड़िशा लौट जायेंगी। 


राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम जुड़े कई विवाद
गौरतलब है कि झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने के साथ-साथ सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड अपने नाम करने वाली द्रौपदी मुर्मू का कार्यकाल विवादों से भी भरा रहा। द्रौपदी मुर्मू पहली राज्यपाल रहीं जिन्होंने विश्वविद्यालयों के चांसलर के रूप में चांसलर पोर्टल पर सभी विश्वविद्यालयों के कॉलेजों के लिए एक साथ ऑनलाइन नामांकन शुरू किया था। कई लोग इस बात से सहमत नहीं थे लेकिन उन्होंने इसे तत्परता से करवाया। विश्वविद्यालयों के लिए ये नया प्रस्ताव था। इसका लाभ विद्यार्थियों को मिला। दाखिला प्रक्रिया आसान हुई। 

राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कई विधेयकों को लौटाया
गौरतलब है कि राज्यपाल ने कई विधायकों को लौटाया भी। बीजेपी सरकार में ही राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने सीएनटी-एसपी विधेयक सहित कई विधेयकों को वापस लौटाया। कई बार सरकार से टकराव की स्थिति भी बनी। अभी हाल ही में राज्यपाल ने ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल से संबंधित फाइल को हेमंत सरकार को वापस लौटा दिया था। इस बात को लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल में टकराव हुआ। बाद में मुख्यमंत्री ने इसमें संसोधन कर टीएसी के तमाम मेंबर्स को नामांकित करने का अधिकार अपने हाथ में ले लिया। इस पर भी काफी विवाद हुआ था। 

राज्यपाल और सरकार के बीच कई मौकों पर टकराव
मामले को लेकर सरकार और राज्यपाल के बीच काफी टकराव दिखा। भारतीय जनता पार्टी भी इस पूरे विवाद में कूदी। बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल तो बकायदा राजभवन पहुंचा और राज्यपाल से मामले में हस्तक्षेप की अपील की। बीजेपी नेताओं ने ये भी कहा कि सरकार राज्यपाल के अधिकारों में हस्तक्षेप कर रही है। हालांकि बाद में मामला शांत हो गया। 

राज्यपाल ने पत्थलगड़ी को लेकर की थी वार्ता
केवल इतना ही नहीं! खूंटी में पत्थलगड़ी की समस्या के समाधान को लेकर वहां की परंपरागत ग्राम सभाओं, मानकी, मुंडा सहित अन्य प्रतिनिधियों को राजभवन बुलाकर उनके साथ रायशुमारी भी उनकी अच्छी पहल में से एक मानी जाती है। बालिकाओं की शिक्षा को लेकर गंभीर द्रौपदी मुर्मू ने कई कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालयों का भ्रमण भी किया। छात्राओं से मिलीं और उनकी समस्याओं से रूबरू भी हुईं। स्कूली शिक्षा एंव साक्षरता विभाग को जरूरी निर्देश भी दिया। इस बीच रूपा तिर्की मामले में भी सरकार के साथ राज्यपाल का टकराव दिखा। 

रूपा तिर्की मामले में पुलिस महानिदेशक को किया तलब
गौरतलब है कि बीजेपी सहित विपक्षी दल के नेताओं तथा कई आदिवासी संगठनों ने राज्यपाल से मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी। राज्यपाल ने मामले को लेकर पुलिस महानिदेशक को राजभवन तलब किया और मामले की ठीक से जांच करने की बात कही थी। इस पर सरकार में शामिल मंत्रियों और नेताओं ने कहा था कि राज्यपाल बीजेपी और केंद्र के इशारे में काम कर रही हैं। राज्य की संवैधानिक मुखिया होने के बाद भी राज्य पुलिस की जांच पर सवाल उठा रही हैं। यही नहीं, कई लोगों ने तो राज्यपाल पर तानाशाही रवैया अपनाने तक का आरोप लगाया था। इन सबके बीच एक सुखद तस्वीर उस वक्त दिखी जब राज्यपाल से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मुलाकात की।